Srikkanth से किया वादा निभाया था Gavaskar ने, बदल लिया था अपना खेल

krishnamachari Srikkanth ने कहा कि वह ग्रेट Sunil Gavaskar की कप्तानी में खेले थे। बतौर सलामी बल्लेबाज उन्हें गावस्कर के साथ खेलना था। ये सिर्फ ईश्वर की कृपा थी।

<p>Gavaskar fulfilled promise to kris srikkanth</p>

नई दिल्ली : टीम इंडिया (Team India) के पूर्व विस्फोटक सलामी बल्लेबाज कृष्णमाचारी श्रीकांत (krishnamachari Srikkanth) यह अपना सौभाग्य मानते हैं कि वह सुनील गावस्कर ( Sunil Gavaskar) के साथ खेले। 1981 में टीम इंडिया के लिए डेब्यू करने वाले श्रीकांत ने गावस्कर के साथ खेले गए मैचों को याद करते हुए कहा कि लिटिल मास्टर ने उनसे एक वायदा किया था, जिसे उन्होंने पूरा भी किया। सुनील गावस्कर के पूरे करियर के दौरान उनके सलामी जोड़ीदार की समस्या से टीम इंडिया जूझती रही, लेकिन आक्रमक बल्लेबाज श्रीकांत (Srikkanth) ने एक हद तक इस कमी को पूरा कर दिया था। श्रीकांत जहां गैर परंपरागत शैली के विस्फोटक बल्लेबाज थे तो वहीं गावस्कर कॉपी-बुक स्टाइल में बल्लेबाजी करते थे। वह अपने दौर में टीम इंडिया की बल्लेबाजी के रीढ़ थे। श्रीकांत ने कहा कि गावस्कर ने उनसे वायदा किया था कि एक दिन वह उनसे कम गेंद पर फिफ्टी पूरी कर दिखाएंगे।

अपने आखिरी टेस्ट सीरीज में कर दिखाया

एक टीवी शो के दौरान श्रीकांत ने कहा कि वह ग्रेट सुनील गावस्कर की कप्तानी में खेले थे। उन्हें बतौर सलामी बल्लेबाज गावस्कर के साथ खेलना था। ये सिर्फ ईश्वर की कृपा थी। उन्होंने कहा कि गावस्कर के साथ उनका पसंदीदा पल मद्रास टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ 1987 में आया था। यह गावस्कर की अंतिम टेस्ट सीरीज थी। श्रीकांत ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि गावस्कर हमेशा उनसे कहा करते थे कि वह एक दिन वह उनसे तेज अर्धशतक बनाएंगे। आखिरकार सुनील गावस्कर की यह इच्छा इस टेस्ट में पूरी हो गई।

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गावस्कर ने उनसे तेज पारी खेली थी

श्रीकांत ने कहा कि उस मैच में उन्होंने शतक लगाया था, लेकिन उस मैच में सुनील गावस्कर ने उनसे पहले 50 रन पूरे किए थे। श्रीकांत ने बताया कि उनसे एक गेंद पहले गावस्कर ने अपना अर्धशतक पूरा किया और उनके एक गेंद बाद उन्होंने भी अर्धशतक बनाया। उस मैच में गावस्कर ने आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी की थी। वह नर्वस नाइंटीज (Nervous Ninties) का शिकार होकर 91 रन पर आउट हो गए थे। श्रीकांत ने कहा कि उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि सच में गावस्कर ने ऐसा किया है। वह उस मैच में बेहद आक्रामक होकर खेले थे।

1987 में ही लगाया एकदिवसीय शतक

सुनील गावस्कर ने संन्यास से ठीक पहले अपनी एक और हसरत पूरी की थी। 1987 एकदिवसीय विश्व कप (ICC World Cup 1987) से पहले तक वह अपने पूरे करियर में एकदिवसीय क्रिकेट में शतक नहीं लगा पाए थे। उन्होंने इसी विश्व कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना पहला और आखिरी एकदिवसीय शतक भी पूरा किया था। इस मैच में भी उनके सलामी जोड़ीदार श्रीकांत ही थे। इन दोनों ने बेहद आक्रमक अंदाज में बल्लेबाजी की थी।

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पांचवीं सबसे सफल सलामी जोड़ी

भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में क्रिस श्रीकांत (kris Srikkanth) और सुनील गावस्कर की जोड़ी पांचवीं सबसे कामयाब जोड़ी है। इन दोनों ने भारत के लिए 55 बार ओपनिंग करते हुए 30.54 की औसत से 1680 रन की साझेदारी की है। इनमें 11 बार पचास या उससे अधिक की भागीदारी रही है। बता दें कि भारत की सबसे सफल सलामी जोड़ी सचिन तेंदुलकर-सौरव गांगुली (Sachin Tendulkar-Sourav Ganguly) की है। इसके बाद क्रमश: शिखर धवन-रोहित शर्मा (Shikhar Dhawan-Rohit Sharma), सचिन तेंदुलकर-वीरेंद्र सहवाग (Sachin Tendulkar-Virendra Sehwag) और वीरेंद्र सहवाग-गौतम गंभीर (Virendra Sehwag-Gautam Gambhir) की जोड़ी है।

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