कड़ी मेहनत से बनाई टीम में जगह
मुरलीधरन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके जीवन में कई प्रकार के विवादों का सामना करना पड़ा। अल्पसंख्यक तमिल समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मुरलीधरन को क्रिकेट टीम में जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। वह अपने गेंदबाजी को लेकर काफी विवादों में रहे। ऑस्ट्रेलिया में एक मैच के दौरान उनकी फेंकी गेंद को चकिंग कहते हुए उसे नोबॉल करार दिया था। क्रिकेट में हाथ को एक खास कोण में रख कर गेंद फेंकी जाती है। लेकिन मुरलीधरन का हाथ थोड़ा ज्यादा ही मुड़ता था। जिस कारण उनके गेंद फेकने की प्रक्रिया को ‘चकिंग’ कहा गया। हालांकि उस वक्त आईसीसी ने ‘चकिंग’ को अमान्य माना।
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इस मामले में शेन वॉर्न और वसीम अकरम भी पीछे
मुरलीधरन संन्यास के समय वनडे क्रिकेट में 534 विकेट के आंकड़े पर पहुंच गए थे। इस मामले में पाकिस्तान के बाएं हाथ के तेज गेंदबाज वसीम अकरम दूसरे पायदान पर हैं। वसीम ने वनडे में 502 विकेट अपने नाम किए है। उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में भी सर्वाधिक 800 विकेट लेने का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है। इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर ऑस्ट्रेलिया के लेग स्पिनर शेन वॉर्न हैं, जिनके नाम 708 टेस्ट विकेट दर्ज हैं।
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आज भी बरकरार है ये वर्ल्ड रिकॉर्ड
श्रीलंका के ऑफ स्पिनर मुरली ने अपने कॅरियर में 133 टेस्ट मैच खेले और कुल 800 विकेट झटके। उन्होंने इस फॉर्मेट में एक अर्धशतक भी लगाया। जिसमें से 362 विकेट हारे और ड्रॉ है। वहीं, वनडे में उन्होंने 350 मैचों में कुल 534 विकेट अपने नाम किए। वनडे और टेस्ट में उनका सर्वाधिक विकेटों का वर्ल्ड रिकॉर्ड आज भी बरकरार है। उन्होंने 12 टी—20 अंतररराष्ट्रीय मैच भी खेले और 13 विकेट लिए। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को जब उन्होंने छोड़ा तो उनके खाते में टेस्ट, वनडे और टी-20 मिलाकर कुल 1347 विकेट लेने का अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है।