ये है मामला
इन तीनों जजों की पीठ ने ही एक अगस्त को मनोहरन की याचिका खारिज करते हुए मौत की सजा बरकरार रखी थी। हालांकि, न्यायाधीश रोहिंग्टन, न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश सूर्यकांत अभियुक्त को अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने पर एकमत थे लेकिन न्यायाधीश खन्ना की राय मृत्युदंड capital punishment के मसले पर बाकी दोनों जजों से अलग थी।
इन तीनों जजों की पीठ ने ही एक अगस्त को मनोहरन की याचिका खारिज करते हुए मौत की सजा बरकरार रखी थी। हालांकि, न्यायाधीश रोहिंग्टन, न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश सूर्यकांत अभियुक्त को अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने पर एकमत थे लेकिन न्यायाधीश खन्ना की राय मृत्युदंड capital punishment के मसले पर बाकी दोनों जजों से अलग थी।
भाई-बहन की नृशंस हत्या से सहम गया था कोवई गौरतलब है कि कथित तौर पर फिरौती के लिए कॉल टैक्सी Taxi चालक ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर कपड़ा कारोबारी textile merchant की 10 साल की बेटी और 7 साल के बेटे का अपहरण घर के पास से कर लिया था। बाद में दोनों का शव पोल्लाची pollachi के उदमुलपेट के पास मिला था। पुलिस ने अपहर्ता कैब चालक Cab मोहनकृष्ण्न और उसके सहयोगी मनोहरन को दो दिन बाद गिरफ्तार कर लिया था। वारदात के समय दोनों अपराधियों की उम्र 23-25 साल थी। गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश के दौरान मोहनकृष्ण मारा गया था। घटना के करीब दो साल बाद 1 नवम्बर 2012 को कोयम्बत्तूर Coimbatore महिला अदालत mahila court ने मामले के एकमात्र जीवित आरोपी मनोहरन को पांच आरोपों में दोषी करार देते हुए दोहरे मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। साथ ही सबूतों को मिटाने की कोशिश के आरोप में तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। आरोपी ने कोयम्बत्तूर ( Tamil Nadu ) अदालत के फैसले को पहले मद्रास उच्च न्यायालय Madras High Court और बाद में उच्चतम न्यायानलय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने भी निचली अदालत Trial court के फैसले को बरकरार रखा था।