चूरू जिले में पीने के पानी के हालातों से सब वाकिफ हैं। पानी के मामले में सरदारशहर क्षेत्र को छोड़कर शेष सभी तहसीलों की स्थिति विकट है। लेकिन इन तहसीलों में सुखद संकेत देने वाले कुछ गांव ऐसे हैं। जहां पर रिचार्ज का पानी आता है। वह भी मीठा। ऐसा ही एक गांव सुजानगढ़ तहसील का गोपालपुरा है।
मधुसूदन शर्मा
चूरू. चूरू जिले में पीने के पानी के हालातों से सब वाकिफ हैं। पानी के मामले में सरदारशहर क्षेत्र को छोड़कर शेष सभी तहसीलों की स्थिति विकट है। लेकिन इन तहसीलों में सुखद संकेत देने वाले कुछ गांव ऐसे हैं। जहां पर रिचार्ज का पानी आता है। वह भी मीठा। ऐसा ही एक गांव सुजानगढ़ तहसील का गोपालपुरा है। जहां पर दस फीट की गहराई पर मीठा पानी आता है। ग्रामीणों की मेहनत और उनकी दूरगामी सोच की बदौलत ही ऐसा हो सका है। वैसे सुजानगढ़ तहसील के गांव गोपालपुरा में यदि और अधिक गहराइ पर खुदाई की जाए तो वहां पर पानी खारा है। लेकिन रिचार्ज वाला पानी उपरी सतह पर होने के कारण मीठा है। जानकारी के अनुसार भूजल विभाग की ओर से तीन साल में एक बार पानी की स्थिति जानने के लिए आंकलन किया जाता है। 2017 में पानी की गुणवत्ता जांची तो चूरू जिले का सादुलपुर जोन बेहद ही गंभीर स्थिति में आया। इसके लिए भारत सरकार ने विशेष रूप से डार्क जोन के लिए नोटिफाई किया है। सुजानगढ़ और बीदासर डार्क जोन में है। इन दोनों जगहों पर पानी वापस रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। जबकि चूरू, रतनगढ़ संवेदनशील स्थिति में है। जबकि तारानगर खारा पानी जोन में आ चुका है। चूरू जिले में सबसे सुरक्षित इलाका सरदार शहर जोन है।
तीन एनीकट बनवाए
सरपंच सविता राठी ने बताया कि द्रोणगिरी की पहाडिय़ों से बहकर आने वाला बरसाती पानी व्यर्थ जा रहा था। इससे मिटटी कटती थी और फसलों को भी नुकसान हो रहा था। वर्ष 2005 में गांव के सभी जलस्रोतों को भामाशाहों के सहयोग से साफ करवाया। ग्रामसभा में प्रस्ताव लेकर करीब 2 लाख खर्च कर ग्रामीणों के सहयोग से तालाब की 50 फीट गहरी खुदाई करवाई। चारदीवारी बनवाई व 2 गेट लगवाए। 7 बीघा आयतन वाले जिले के सबसे बड़े इस तालाब के 21 बीघा में फैले कैचमेंट क्षेत्र में आ रही रुकावटों को हटाया। बाद में सिंचाई विभाग के सहयोग से करीब 48 लाख की लागत से 3 एनीकट बनाए। तालाब में साफ़ पानी आए इसके लिए बड़े नाले बनवाए। पानी के रास्तों में पत्थर व ग्रीट बिछवाई जिससे मिट्टी बाहर रहे है। गांव में हैंडपंप लगवाए। जल स्तर बढ़ा तो सब्जियां उगानी शुरू की गांव के श्रीराम शर्मा ने बताया कि गांव का भूजल स्तर काफी बढ़ गया है व पानी भी अब मीठा हो गया है। इससे खारे पानी की समस्या खत्म हो गई है। अब 10 फीट की गहराई पर ही पानी आ जाता है। डूंगर बालाजी बास के भागूसिंह बताते हैं कि आज से 15 वर्ष पूर्व पीने के पानी की बड़ी विकट समस्या थी। 2 किमी पैदल चल कर महिलाओं को पीने का खारा पानी लाना पड़ता था। पूसाराम प्रजापत बताते हैं कि खुदाई में पानी का स्तर बढ़ जाने के कारण गांव में करीब 30 बाडिय़ां है, जिनमें गांव के लोग हरी सब्जियां उगा कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
इसलिए आता है मीठा पानी
आपको बता दें कि गोपालपुरा के ग्रामीणों ने खारे पानी से निजात पाने के लिए पुराने तालाब की मरम्मत कर बरसाती पानी को संरक्षित करना शुरू कर दिया। इसका परिणाम ये सामने आया कि अब साल भर तालाब में पानी रहता है व भूजल स्तर बढ़ जाने के चलते कुओं में मीठा पानी 10 फीट की गहराई पर आ गया है। गांव के हालात ऐसे थे कि लोग कई किमी पैदल चल कर पानी लाना पड़ता था। वर्ष 2005 में ग्रामीणों ने बरसाती पानी को सहेजने की योजना बनाई। करीब 7 साल से सूखे तालाब की खुदाई करवा नवीनीकरण करवाया था। बाद में द्रोणागिरी की पहाडिय़ों से बरसाती नदी के रास्ते में आने वाले व्यवधान हटाकर तालाब में बरसात का पानी संरक्षित किया।