चित्तौड़गढ़

भगवान महावीर के उपासक किन संतों का 35 वर्ष बाद हुआ मिलन

शंभूपुरा कस्बे के महावीर भवन में शुक्रवार को जैन धर्म की दो अलग-अलग परम्पराओं के संतों ने संयुक्त रूप से प्रवचन देते हुए श्रावक-श्राविकाओं को जैन एकता व भगवान महावीर स्वामी के दिखाए मार्ग पर चलने का संदेश दिया। जैन धर्म की मूर्तिपूजक परम्परा से आने वाले राष्ट्रसंत ललितप्रभ ने जीवन जीने के मन्त्र बताते हुए कहा कि अपनी सोच हमेशा सकारात्मक रखो।

चित्तौड़गढ़Feb 28, 2020 / 11:24 pm

Nilesh Kumar Kathed

भगवान महावीर के उपासक किन संतों का 35 वर्ष बाद हुआ मिलन




चित्तौडग़ढ़. निकटवर्ती शंभूपुरा कस्बे के महावीर भवन में शुक्रवार को जैन धर्म की दो अलग-अलग परम्पराओं के संतों ने संयुक्त रूप से प्रवचन देते हुए श्रावक-श्राविकाओं को जैन एकता व भगवान महावीर स्वामी के दिखाए मार्ग पर चलने का संदेश दिया। जैन धर्म की मूर्तिपूजक परम्परा से आने वाले राष्ट्रसंत ललितप्रभ ने जीवन जीने के मन्त्र बताते हुए कहा कि अपनी सोच हमेशा सकारात्मक रखो। मुनि ने कहा कि तस्वीरों में तो हमेशा मुस्कुराते हो तकलीफ में भी मुस्कुराते रहो दुख अपने आप दूर हो जाएगा।मुनि ने कहा कि आपको जिंदगी में जो ना मिला उसके लिए चिंतित मत रहो बल्कि जो मिला उसमे खुश रहो। प्रवचन के दौरान जैन स्थानकवासी परम्परा से आने वाले श्रमण संघीय उपप्रवर्तक डॉ सुभाष मुनि ने कहा कि धर्म हमे प्रेम रूपी रस्सी में बांधने का कार्य करता है। मुनि ने कहा कि जब तक आपका आचरण सही नही हो स्वर्ग की कल्पना ना करे। अपने विचार और आचरण बदले तो ही आनन्द की अनुभूति होगी।सुभाष मुनि ने कहा कि ललितप्रभ और हमारा 35 साल बाद मिलना हुआ।शुरुआत में आगम ज्ञाता ऋषभ मुनि ने करते हुए बताया कि भगवान सर्वदर्शी है कोई बात उनसे छिपी नही हैए जब तक आत्मा प्रमाद में रहेगी तब तक भटकती रहेगी। मुनि शांतिप्रिय सागर ने मंगलगीत से नवकार मंत्र का महत्व बताते हुए विश्वशांति का घर घर दीप जलाने की बात कही। शंभूपुरा जैन समाज के अध्यक्ष मिश्रीलाल कोठारी ने कहा कि सुबह चित्तौरगढ़ की ओर से मुनि ललितप्रभ आदि ठाना दो और निम्बाहेड़ा की ओर से डॉ सुभाष मुनि आदि ठाणा तीन का मंगल प्रवेश होना श्रावक समाज के लिए खुशी का विषय है।
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