लॉक डाउन में याद नहीं आ रहे कुपोषित बच्चे

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए देश व्यापी लॉक डाउन के तहत चित्तौडग़ढ़ में भी चल रहे लॉक डाउन के दौरान प्रशासन उन 15 हजार बच्चों को तो भूल ही गया, जिनका वजन कम पाए जाने पर इन्हें यलो श्रेणी में रखा गया था। आंगनबाडिय़ां बंद होने से इन कुपोषित बच्चों की भी उपेक्षा हो रही है।

<p>लॉक डाउन में याद नहीं आ रहे कुपोषित बच्चे</p>
चित्तौडग़ढ़
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जिले के ७५ हजार ५०१ बच्चों के वजन का विवरण तैयार किया गया था। वजन के आधार पर बच्चों की तीन श्रेणियां बनाई गई। पहली श्रेणी ग्रीन में स्वस्थ बच्चों को शामिल किया गया। दूसरी श्रेणी यलो में ऐसे कुपोषित बच्चों को शामिल किया गया, जिनका वजन कम पाया गया है। तीसरी श्रेणी ऑरेंज में बहुत कम वजन वाले बच्चों को शामिल करते हुए इन्हें अति कुपोषित माना गया। विभाग की ओर से लिए गए बच्चों के वजन में ६० हजार ११० बच्चों का वजन निर्धारित मापदण्ड के अनुसार पाया गया। जबकि १५ हजार १२४ बच्चों का वजन कम पाया गया, जिन्हें कुपोषित मानते हुए यलो श्रेणी में शामिल किया गया। २६७ बच्चों को अति कुपोषित मानते हुए ऑरेंज श्रेणी में शामिल किया गया है।
सर्वाधिक कुपोषित व अति कुपोषित बच्चे निम्बाहेड़ा क्षेत्र में
महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में पाए गए १५ हजार १२४ कुपोषित बच्चों में से सर्वाधिक २७३७ बच्चे निम्बाहेड़ा क्षेत्र से है। इसके अलावा अति कुपोषित पाए गए २६७ बच्चों में से भी १४३ बच्चे अकेले निम्बाहेड़ा क्षेत्र से है।
दूसरे नंबर पर है बेगूं क्षेत्र
कुपोषित बच्चों के मामले में बेगूं क्षेत्र जिले में दूसरे स्थान पर है। इस क्षेत्र में १८२३ बच्चे कुपोषित और ४९ बच्चे अति कुपोषित होने की पुष्टि हुई है।
कुपोषण की समस्या से कहां कितने बच्चे हैं ग्रस्त
भदेसर क्षेत्र में १६४७ बच्चे कुपोषित और १० बच्चे अति कुपोषित पाए गए हैं। बड़ीसादड़ी क्षेत्र में ९९३ बच्चे कुपोषित और २७ बच्चे अति कुपोषित होने की पुष्टि हुई है। भैंसरोडग़ढ़ क्षेत्र में १०३५ बच्चे कुपोषित व ४ बच्चे अति कुपोषित पाए गए हैं। भोपाल सागर में ९५२ बच्चे कुपोषित मिले है, लेकिन यहां अति कुपोषित एक भी बच्चा नहीं मिला है। चित्तौडग़ढ़ शहरी क्षेत्र में १०२८ बच्चे कुपोषित और ११ बच्चे अति कुपोषण का शिकार है। चित्तौडग़ढ़ ग्रामीण क्षेत्र में १५०७ बच्चे कुपोषित व १८ बच्चे अति कुपोषित पाए गए हैं। डूंगला में ९६८ बच्चे कुपोषित मिले है, लेकिन कुपोषित एक भी बच्चा नहीं पाया गया। गंगरार में १२२३ बच्चे कुपोषित मिले हैं, यहां भी अति कुपोषित एक भी बच्चा नहीं है। कपासन क्षेत्र में ८३४ बच्चे कुपोषण का शिकार हुए है। जबकि चार बच्चे अति कुपोषण की चपेट में पाए गए हैं। राशमी क्षेत्र में ३७७ बच्चे अति कुपोषित व एक बच्चा अति कुपोषित पाया गया है।
सामान्य दिनों में यह व्यवस्था
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से अति कुपोषित बच्चों को एमटीसी सेंटर रैफर किया जाता है। प्रत्येक गुरूवार को अतिरिक्त पोषाहार दिया जाता है। सोमवार व गुरूवार को बच्चों को फोलिक एसिड की दवा पिलाई जाती है। इसकी मॉनिटरिंग आशा सहयोगिनी द्वारा की जाती है।
अब सब व्यवस्थाएं हो गई ठप
लॉक डाउन के चलते आंगनबाडिय़ां बंद है। लोग घरों में बंद हैं। अधिकाशं कुपोषित बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों से होने के चलते इस समय किसी को भी अतिरिक्त पोषाहार व अन्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, ऐसे में कुपोषित बच्चों की उपेक्षा हो रही है।
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