कीर्ती स्तभ पर फिर गिरी बिजली

चित्तौडग़ढ़. विश्व विरासत में शुमार चित्तौडग़ढ़ बर बना ७२१ वर्ष पुराना किर्ती स्तभ पर गुरुवार शाम को एक बार फिर बिजली गिरने से फिर से स्तभ क्षतिग्रस्त हो गया है। इस बार किर्ती स्तभ के ऊपर की तरफ बना चबूतरा नुमा हिस्सा टूट कर नीचे गिरा तो अन्य जगह से भी पत्थर टूट कर गिर गए ।

<p>कीर्ती स्तभ पर फिर गिरी बिजली</p>
चित्तौडग़ढ़. विश्व विरासत में शुमार चित्तौडग़ढ़ बर बना ७२१ वर्ष पुराना किर्ती स्तभ पर गुरुवार शाम को एक बार फिर बिजली गिरने से फिर से स्तभ क्षतिग्रस्त हो गया है। इस बार किर्ती स्तभ के ऊपर की तरफ बना चबूतरा नुमा हिस्सा टूट कर नीचे गिरा तो अन्य जगह से भी पत्थर टूट कर गिर गए । सूचना मिलने पर जिला कलक्टर ताराचंद मीणा, भारतीय पुरात्त्व संरक्षण विभाग के रतन जीतरवाल आदि अधिकारी मौके पर पहुंचे। हालाकि बिजली गिरने के दौरान कोई अनहोनी नहीं हुई लेकिन इस मामले को लेकर पिछले ९ वर्षो से लापरवाही बरती जा रही है। मीणा को जैन समाज के लोगों ने मौके पर बताया कि वर्ष २०१२ में मडित चालक यंत्र के तार चोर चूरा कर ले गए थे। इसके बाद से ही यहां पर तडि़तचालक यंत्र काम नहीं कर रहा है। इस मामले में मीणा ने जीतरवाल से पूछा तो उन्होंने कहा कि इसके लिए विभाग के उच्च अधिकारियों कई बार लिखा गया लेकिन बजट की स्वीकृति नहीं मिली।
मीरा मंदिर पर भी यही हाल
चित्तौडग़ढ़ दुर्ग पर बना ऐतिहासिक मीरा मंदिर भी मडि़तचालक के तार नहीं है केवल एनटिना ही लगा हुआ है वहीं विजय स्तभ पर लगा तडि़त चालक का एनटिना भी पूरी तरह से झुका हुआ बताया जा रहा है। ऐसे में आकाशीय बिजली इन दोनों पुरासम्पदा को भी कभी भी नुकसान पहुंच सकती है।
जिला मजिस्टे्रट को भी नहीं बताया
कीर्ति स्तभ पर मंगलवार रात गिरी बिजली की घटना कोभारतीय पुरात्व संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने पूरी तरह से छिपाने का प्रयास किया। यहां तक कि इसकी जानकारी जिला मजिस्टेट एवं कलक्टर ताराचंद मीणा को देना भी उचित नहीं समझा गया। इसके बाद जब सुबह समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित हुई तो कलक्टर ने जीतरवाल को इस मामले में पुटकार भी लगाई।
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