वर्षों से जिस पुल की थी आस उसके लिए सीएम योगी ने बजट किया पास “पत्रिका” ने भी कई बार उठाया था मुद्दा

जनहित के इस मुद्दे को “पत्रिका” ने भी कई बार उठाया और नागरिकों की आवाज पर जिम्मेदारों से बराबर सवालात किए गए.
अब बजट पास होने के बाद उम्मीद इस बहुप्रतीक्षित योजना के पूरा होने की उम्मीद बलवती हो गई है.

<p>वर्षों से जिस पुल की थी आस उसके लिए सीएम योगी ने बजट किया पास </p>
चित्रकूट: जनपद वासियों को वर्षों से जिस यमुना पुल की आस थी उसके लिए सीएम योगी ने बजट पास कर दिया है. जिले के नागरिकों द्वारा कई सालों से इस यमुना ब्रिज के लिए मांग किए जाने के बाद बसपा शासनकाल(2011) में इसकी आधारशिला रख दी गई थी और करोड़ों का बजट भी पास हो गया था लेकिन सिस्टम की उदासीनता की पराकाष्ठा के चलते पुल के पिलर तक न खड़े हो पाए. 2012 में सपा सरकार में भी ये मुद्दा यहां के नागरिकों ने उठाया आश्वासन भी मिला और काम शुरू भी हुआ लेकिन कच्छप गति के बाद सब कुछ फिर ठप हो गया. उसके बाद सन 2017 में सूबे की हुकूमत भाजपा के हांथों में आने के बाद फिर यमुना ब्रिज का मुद्दा गरमाया और अब साढ़े तीन साल बाद सरकार ने इस पुल के लिए 116 करोड़ 85 लाख का बजट स्वीकृत किया है. जनहित के इस मुद्दे को “पत्रिका” ने भी कई बार उठाया और नागरिकों की आवाज पर जिम्मेदारों से बराबर सवालात किए गए. अब बजट पास होने के बाद उम्मीद इस बहुप्रतीक्षित योजना के पूरा होने की उम्मीद बलवती हो गई है.
जनपद के मऊ विकासखंड अंतर्गत स्थित यमुना ब्रिज का बजट सीएम योगी द्वारा पास किए जाने के बाद जनपद वासियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. आजादी के बाद से ही इस मार्ग पर पुल की मांग की जा रही थी. ये यमुना पुल जनपद को उसके पड़ोसी जिले कौशाम्बी से सीधे तौर पर जोड़ेगा. अभी दोनों जिलों के बीच यमुना में नाव के द्वारा आवागमन होता है. इस पुल के लिए सीएम योगी ने 116 करोड़ 85 लाख की धनराशि स्वीकृत की है. खास बात यह कि सरकार के दो नुमाइंदों डिप्टी सीएम केशव मौर्या व पीडब्ल्यूडी मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय के गृह जनपदों क्रमशः कौशाम्बी व चित्रकूट के नागरिकों के लिए यह पुल विकास का माध्यम भी बनेगा. अब बजट पास होने के बाद इसके निर्माण कार्य के पुनः शुरू व खत्म होने का लोगों को बेसब्री से इंतजार है.
पुल की आधारशिला व सिस्टम की उदासीनता के इतिहास पर नजर डालें तो बसपा सरकार में वर्ष 2011में ये योजना पास की गई थी. करोड़ों का बजट भी स्वीकृत हुआ था. शिलान्यास के बाद काम शुरू तो हुआ लेकिन कच्छप गति से. सन 2012 में सपा सरकार बनने के बाद इसके निर्माण कार्य में शुरुआत में कुछ संजीदगी तो दिखी लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात. हालांकि सन 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार के दौरान भाजपा सांसद(चित्रकूट-बांदा) भैरव प्रसाद मिश्रा ने इस मुद्दे को सदन में भी उठाया और लापरवाही बरतने वाले जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की. सन 2017 में यूपी की सत्ता बीजेपी ने संभाली तो एक बार फिर ये मुद्दा परवान चढ़ा और अब सत्ता संभालने के लगभग साढ़े तीन साल बाद सीएम योगी ने इस यमुना ब्रिज हेतु करोड़ों की धनराशि स्वीकृत की. पुल के शिलान्यास से लेकर अब तक स्थानीय बाशिंदों ने कई बार आंदोलन भी किया इसके निर्माण कार्य में शिथिलता बरते जाने को लेकर. अब जब एक बार पुनः इस ब्रिज के लिए बजट पास हुआ है तो लोगों में खासी उम्मीद बंध गई है कि अबकी यमुना ब्रिज पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा.
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