राम की तपोभूमि में एक और “रोप वे” हजारों फीट ऊंचाई से दिखेगा अद्भुत नज़ारा नवरात्र से होगी शुरुआत!

इससे पहले लक्ष्मण पहाड़ी पर शुरू हो चुका है रोप वे.

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चित्रकूट: भगवान राम की तपोभूमि यानी चित्रकूट में एक और “रोप वे” का निर्माण लगभग पूरा होने के मुहाने पर है. सब कुछ ठीक ठाक रहा तो इसी वर्ष शारदीय नवरात्रि से रोप वे शुरू हो जाएगा. पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के हिस्से में आने वाले ऊंचे पहाड़ों पर स्थित दर्शनीय स्थल तीर्थ क्षेत्र हनुमान धारा पर इस रोप वे का निर्माण किया गया है. निर्माण कार्य अंतिम चरण में है और रोप वे का ट्रायल भी किया जा चुका है. पूरी संभावना है कि नवरात्रि से इसे आस्थावानों के लिए शुरू कर दिया जाएगा. हनुमान धारा अपने अलौकिक रहस्यों व प्राकृतिक सुंदरता को लेकर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है. साल भर यहां बड़ी संख्या में पर्यटकों व तीर्थ यात्रियों का आवागमन होता रहता है.

तो नवरात्रि से शुरू हो जाएगा रोप वे


दो राज्यों(यूपी व एमपी-मध्य प्रदेश) के मध्य स्थित भगवान श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट में जहां यूपी के हिस्से में पड़ने वाले धार्मिक स्थल लक्ष्मण पहाड़ी पर यूपी के पहले रोप वे की शुरुआत हो गई है वहीं अब इसी तीर्थ क्षेत्र के मध्य प्रदेश वाले हिस्से में आस्थावानों को ये सुविधा मिलने जा रही है. पड़ोसी राज्य(मध्य प्रदेश) में स्थित हनुमान धारा पहाड़ पर जल्द ही रोप वे कि शुरुआत कर दी जाएगी. करीब 12 करोड़ की लागत से बन रहे रोप वे के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है. मध्य प्रदेश सरकार की खास नज़र है इस पर. पिछले पांच वर्षों से इस धार्मिक स्थल पर रोप वे का निर्माण कार्य चल रहा है. योजना को पूरा करने का जिम्मा दामोदर रोपवेज इंफ्रा लिमिटेड को दिया गया है. नवरात्रि से इसके शुरू होने की पूरी उम्मीद है. अभी लगभग 665 सीढ़ियों के माध्यम से श्रद्धालु इस दुर्लभ स्थान तक पहुंचते हैं. 327 मीटर ऊंचे रोप वे में 6 ट्रॉली लगाई गई हैं.

दिखेगा अद्भुत अलौकिक नज़ारा स्वीट्ज़रलैंड से मंगवाई गई हैं ट्रॉलियां


ऊंचे विशाल पहाड़ पर स्थित हनुमान धारा की गुफा तक रोप वे के माध्यम से जाने के दौरान श्रद्धालु प्रकृति के अद्भुत अलौकिक नजारों का आनंद ले सकेंगे. कुछ ऐसा ही दृश्य दिखता है लक्ष्मण पहाड़ी स्थित यूपी के पहले रोप वे से यात्रा के दौरान. रोप वे की ट्रॉलियां स्वीटजरलैंड से मंगवाई गई हैं. चार मिनट में रोप वे की ट्रॉलियां नीचे से ऊपर(हनुमानधारा) पहुंचेंगी. इस दौरान एक मिनट के लिए ट्रॉलियों को बीच में रोका जाएगा ताकि यात्री हजारों फीट ऊंचाई से प्रकृति के अनुपम सौंदर्य का आनन्द ले सकें. रोप वे का ट्रायल भी किया जा चुका है. सुरक्षा मानकों आदि को बारीकी से परखकर अब एनओसी लेने की प्रक्रिया की जाएगी और फिर उसके बाद सम्भवतः नवरात्रि से इसे शुरू कर दिया जाएगा.
रोप वे की लंबाई : 327 मीटर
– ट्रॉली : 6

– एक बार में सवारी : 48

– रोप-वे से सफर : 4 मिनट में

सड़क मार्ग दुरुस्त करने की मांग
इसके इतर हनुमानधारा तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग खस्ताहाल है. जगह जगह गड्ढे व ऊबड़ खाबड़ रास्तों ने इस पर्यटन क्षेत्र पर धब्बा लगा दिया है. इसी समस्या को लेकर बुंदेली सेना ने चित्रकूट के यूपी व एमपी हिस्से के प्रशासन को कई बार चेताया है. संगठन के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह का कहना है कि इतने महत्वपूर्ण स्थल तक पहुंचने वाली रोड का दुरुस्त न होना निराशाजनक है. उनके संगठन ने कई बार सड़क मार्ग को दुरुस्त करने की मांग की है.
रहस्यों को समेटे हुए है हनुमानधारा


भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में कई ऐसी जगह हैं जहाँ आज भी कई रहस्यात्मक पहलू लोगों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं. उन्ही में से एक स्थान है हनुमान धारा. पौराणिक व धार्मिक ग्रंथों में उल्लिखित मान्यता के अनुसार लंकाधिपति रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले राम का सन्देश लेकर लंका गए हनुमान ने पूरी लंका को आग से भस्म कर दिया था। लंका दहन व् विजय के पश्चात हनुमान के शरीर में उत्पन्न गर्मी को शांत करने के लिए राम ने उन्हें चित्रकूट में निवास करने का आदेश दिया। हनुमानधारा नाम से विख्यात चित्रकूट के इस स्थल पर हनुमान के हृदय को आज भी शीतल कर रहा है अदृश्य जगह से निकल रहा जल । मान्यता के अनुसार भगवान राम से जब हनुमान ने अपने शरीर में उत्पन्न गर्मी के निराकरण के उपाए के बारे में पूछा तो श्री राम ने हनुमान को चित्रकूट के पहाड़ पर रहने का आदेश दिया और अपने बाण से उसी पहाड़ पर जलश्रोत उत्पन्न किया जिसे हनुमानधारा के नाम से जाना जाता है। श्री रामचरितमानस सहित कई धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान का उल्लेख मिलता है। गुफा में विराजे हनुमान के बाएं अंग पर अदृश्य जगह से निकलते जलश्रोत का रहस्य आजतक कोई नहीं जान पाया। भीषण गर्मी में भी ये जल नहीं सूखता। आस्थावानों में इस स्थान को लेकर अपार श्रद्धा है। विभिन्न असाध्य रोगों के निवारण के लिए भी भक्त इस जल को अपने साथ ले जाते हैं। पहाड़ पर अनेकों गुफाएं व् कन्दराएँ इस बात को प्रमाणित करती हैं की इन जगहों पर बड़े बड़े तपस्सीयों ने आत्मजागरण की तपस्या की है। स्थान के पुजारी बताते हैं की यहां का जल अमृत के समान माना जाता है और कभी नहीं सूखता। कहा जाता है की आज भी हनुमान धारा के पहाड़ पर कई साधू संत जनकल्याण के लिए तपस्यारत हैं और उन्हें हनुमान की कृपा प्राप्त है।
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