अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में भी उत्साह व उल्लास का माहौल है. अपने 14 वर्षों के वनवासकाल के दौरान करीब साढ़े 11वर्ष भगवान राम ने चित्रकूट में बिताए. आज भी ऐसे कई स्थान हैं जहां राम के प्रवास व विचरण की निशानियां मिलती है. कई धार्मिक ग्रन्थों पुस्तकों में भी राम की तपोभूमि के इन स्थानों का उल्लेख है. ऐसा ही एक स्थान है कामदगिरि पर्वत. ऐसी मान्यता है कि वनवासकाल के समय चित्रकूट प्रवास के दौरान भगवान राम कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा किया करते थे. गोस्वामी तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस में भी इसका उल्लेख मिलता है जिसमें कहा गया है कि” कामदगिरि भे राम प्रसादा अवलोकत अपहरद बिषादा” अर्थात कामदगिरि राम के प्रसाद के रूप में विद्यमान हैं जो सभी प्रकार के विषादों का नाश करते हैं.
अब इसी कामदगिरि पर्वत जिन्हें आस्था स्वरूप भगवान कामतनाथ भी कहा जाता है कि शिला अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर हेतु भेजी जाएगी. कामतनाथ प्रमुख द्वार के महंत मदन गोपाल दास ने बताया कि 5 अगस्त को अयोध्या में भूमि पूजन के मुहूर्त पर ही कामदगिरि की शिला का भी पूजन किया गया. इस शिला को अयोध्या भेजा जाएगा मंदिर निर्माण हेतु. इससे पहले भगवान कामतानाथ मंदिर में अखंड रामायण का पाठ भी किया गया. वनवासकाल का सर्वाधिक समय चित्रकूट में बिताया है भगवान राम ने इसलिए यहां भी उल्लास व उत्साह का माहौल है.