बैलगाड़ियों में पानी लाने की तैयारी हो रही होती है
जीती जागती तस्वीरें पाठा में भोर की पौ फटने के साथ दिखने लग जाती है।
हैंडपंपों के पास एकत्रित बाल्टियों की रस्साकशी हो रही होती है।
सूरज की तल्खी अप्रैल के मध्यान्ह में ही जबरदस्त तरीके से अपने तेवर दिखा रही है।
अप्रैल के महीने में ही तो अगले दो महीनों मई और जून का तकाजा लगाया जा सकता है।
पानी की कीमत समझ तब आती है जब इंसानों और बेजुबानों द्वारा एक बूंद पानी के लिए जद्दोजहद करते देखी जाती है।
सूखे कंठ को तर करने के लिए बेजुबान भी संघर्ष करते देखे जा सकते हैं।