जब यहां टूटा मुगल शासक औरंगजेब का दम्भ और बनवाया मंदिर हैरान कर देने वाली घटना से अचरज में पड़ गया था बादशाह

बादशाह ने मंदिर में भोग की रस्म के लिए स्थाई रूप से धन मिलते रहने का इंतजाम भी किया था.

<p>जब यहां टूटा मुगल शासक औरंगजेब का दम्भ और बनवाया मंदिर हैरान कर देने वाली घटना से अचरज में पड़ गया था बादशाह</p>
पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
चित्रकूट: भगवान राम की तपोभूमि में एक ऐसा स्थान मौजूद है जहां अपनी कट्टर छवि के लिए जाने जाने वाले मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर बनवाया था. आज भी ये मंदिर उस वक्त की दास्तां बयां करता है. इस मंदिर का नाम है बालाजी मंदिर जो पवित्र मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित रामघाट के पास है. एक हैरान कर देने वाली घटना ने मुगल बादशाह को मंदिर निर्माण करवाने पर मजबूर कर दिया. बादशाह ने मंदिर में भोग की रस्म के लिए स्थाई रूप से धन मिलते रहने का इंतजाम भी किया था.
किंवदंतियों के मुताबिक कट्टर छवि का कहा जाने वाला मुगल शासक औरंगजेब जब चित्रकूट आया तो उसने अपनी सेना को हुक्म दिया कि सुबह होते ही मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित मत्यगयेन्द्रनाथ (शिव का प्राचीन मंदिर) सहित सभी मंदिरों एवं मठों को ध्वस्त कर दिया जाए. बादशाह के हुक्म की तामील करने जब उसके सिपाहियों ने मंदिर में स्थापित शिवलिंग को तोडऩा चाहा तो उनके पेट में भयंकर दर्द होना शुरु हो गया. एक-एक कर सभी सैनिक बेहोश हो गए. इस घटना से औरंगजेब अचरज में पड़ गया घबरा गया. उसने सिपाहियों के उपचार के हर संभव प्रयास किए परंतु वह सफल नहीं हो सका.
इसी बीच औरंगजेब को जानकारी हुई कि इसका इलाज वहां के एक प्रसिद्ध संत बाबा बालक दास ही कर सकते हैं. जिसके बाद बाबा के पास जाकर जब बादशाह ने सिपाहियों के जीवन की भीख मांगी तो कहा जाता है कि बाबा ने उससे मंदिरों को तोडऩा बंद करवाने के लिए कहा। औरंगजेब ने जब इस तरह का वचन दिया तो बाबा के उपचार के बाद सभी सैनिक चमत्कारी ढंग से उठ खड़े हुए। औरंगजेब बाबा के इस अद्भुत चमत्कार से बहुत प्रभावित हुआ और उसने वहां तत्काल एक मंदिर बनवाने का आदेश देकर ठाकुर के राजभोग के लिए दस्तावेज लिखा। यह मन्दिर बालाजी के मंदिर के नाम से विख्यात है.

मुगल शासक ने मंदिर में राजभोग तथा पूजा के लिए आवश्यक धन के लिए आठ गांवों की 330 बीघा जमीन और राजकोष से चांदी का एक रुपए प्रतिदिन देने का फरमान जारी किया था। बादशाह द्वारा जारी किये गये फरमान की छायाप्रति आज भी मंदिर में मौजूद है।मंदाकिनी नदी के तट पर बनवाए गए इस मंदिर में मुगल कालीन स्थापत्य कला की छाप स्पष्ट है।
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