अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर खास : जानिए कैसे एक आदिवासी महिला बनी राज्यपाल

महिला दिवस 2020 के अवसर पर पत्रिका राज्यपाल अनुसुइया उइके के जीवन संघर्षों के बाद हासिल की गई सफलता को सलाम करता है।

<p>अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर खास : जानिए कैसे एक आदिवासी महिला बनी राज्यपाल</p>

छिंदवाड़ा/ क्या आप कभी सोच सकते हैं कि, कोई आदिवासी महिला भी राज्यपाल बन सकती है? जी हां बिल्कुल और ऐसा करके दिखाया है मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की एक आदीवासी महिला अनुसुइया उइके ने। उइके अपनी मेहनत और राजनीतिक सफलताओं के दम छत्तीसगढ़ की राज्यपाल बनाई गई हैं। आज महिला दिवस 2020 के अवसर पर पत्रिका राज्यपाल अनुसुइया उइके के जीवन संघर्षों के बाद हासिल की गई सफलता को सलाम करता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आज हम इनके जीवन की कुछ खास बातें जानते हैं।

 

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प्रदेश वासियों का बढ़ाया सम्मान

देशभर में एक बार फिर छिंदवाड़े का रुतबा उस समय बढ़ गया जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यपाल बतौर अनुसुइया उइके की नियुक्ति छत्तीसगढ़ के राजभवन में की। अनुसुइया उइके के छत्तीसगढ़ की राज्यपाल बनने पर जिले समेत प्रदेश भर के लोगों में हर्ष है।

 

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नाम के आगे लगता है महामहिम

जिले के ग्राम रोहनाकलां में जन्मी व एमए अर्थशास्त्र-एलएलबी तक शिक्षित वरिष्ठ नेत्री अनुसुइया वर्तमान में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष बतौर सेवाएं दे रहीं थीं। इससे पहले वे विधायक और राज्यसभा सांसद रहीं। उन्होंने भाजपा के संगठनात्मक पद के साथ देश व प्रदेश के अलग-अलग आयोग का प्रशासनिक कामकाज भी संभाला। इसके बाद छत्तीसगढ़ की राज्यपाल बनने के बाद उनका कद राज्य की पहली महिला के रूप में स्थापित हो गया। अब उनके नाम के आगे महामहिम शब्द जुड़ता है।

 

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विधायक से राज्यपाल का सफर

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