छिंदवाड़ा

Diwali: ध्यान रखें इस दीपावली कहीं मिलावटी मिठाई न थमा दे दुकान संचालक

शुद्ध के लिए युद्ध कहना वर्तमान में बेईमानी सा लगेगा। ऐसा इसीलिए क्योंकि मिलावटखोरी पर पूर्णत: विराम नहीं लग पाया है,

छिंदवाड़ाOct 25, 2021 / 11:58 am

babanrao pathe

Adulterated mawa started coming from Bikaner in bhilwara

छिंदवाड़ा. शुद्ध के लिए युद्ध कहना वर्तमान में बेईमानी सा लगेगा। ऐसा इसीलिए क्योंकि मिलावटखोरी पर पूर्णत: विराम नहीं लग पाया है,ऐसे में हर घर तक धीमा जहर पैसे लेकर बेचा जा रहा है और लोग इसे बड़े ही चाव से खरीदकर अपने घर तक लेकर जा रहे हैं। लोग भी इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं कि वे मिलावटी मावा से बनी केवल मिठाई लेकर नहीं बल्कि अपने साथ अपने परिवार के लिए बीमारी लेकर जा रहे हैं।

हर साल खुशियों के त्योहार पर मिलावट की मिठाई हजारों नहीं बल्कि जिले में लाखों लोगों की सेहत पर असर डालती है, लेकिन इसके बाद भी न तो लोग जागते हैं और न ही यह सिस्टम जागता है। खाद्य विभाग के तमाम प्रयासों के बाद भी पूरे जिले में मिलावटी मावा का पहुंचना इस बात की ओर संकेत देता है कि मिलावटखोर इतने शातिर है कि वे बड़ी ही आसानी से अपनी मिलावटी सामग्री को निर्धारित जगह पर पहुंचा देते हैं। विभाग की जांच टीम चौक चौराहों और मिठाइयों की दुकान पर ताली पीटते रह जाते हैं, यह सिलसिला सालों से लगातार जारी है, फिर भी न तो विभाग इसको लेकर आत तक कोई ठोस कदम उठा पाया है और न ही आज तक कोई ऐसी ठोस कार्रवाई हुई है जिससे अन्य मिलावटखोर या फिर शहर के मिठाई बेचने वालों को सबक मिल सके। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है कि कहीं न कहीं मिठाइयां बेचने वाले और विभागीय अधिकारियों के बीच ऐसा समांजस्य है जिसके बीच से होकर मिलावट का कारोबार चल रहा है। वरिष्ठ अधिकारी भी इस बात को लेकर कभी गम्भीर नजर नहीं आए कि मिलावट से किसी एक नहीं बल्कि समाज का हर वर्ग प्रभावित हो रहा है यहां तक की आने वाले पीढ़ी भी मिलावटी सामग्री खाकर जीवन को संकट में डाल रही है।

एक साल में लाखों का जुर्माना
एक वर्ष के भीतर विभिन्न सामग्री में मिलावट के कुल 469 मामले सामने आए हैं। वर्तमान में 56 प्रकरण एडीएम कोर्ट में विचाराधीन है, जबकि 100 प्रकरण में एडीएम कोर्ट से निर्णय आ चुका सम्बंधित आरोपियों के खिलाफ कुल 22 लाख 94 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। शेष प्रकरणों में अभी जांच रिपोर्ट आना शेष है, रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद कार्रवाई की जाएगी। जुर्माने की कार्रवाई के बाद भी मिलावटखोरों में किसी तरह का खौफ दिखाई नहीं दे रहा है।

एक वर्ष में की गई कार्रवाईयों को आंकड़ों में समझें
दुध के नमूने लिए गए 52
फेल हुए दुध के नमूने 6
घी के नमूने लिए गए 43
फेल हुए नमूने 2
मावा के नमूने लिए 35
फेल हुए नमूने 3
पनीर के नमूने लिए 36
फेल हुए नमूने 4
विचाराधीन प्रकरण 56
निर्णित प्रकरण 100
अपध दर्ज किए गए 6

प्रक्रिया लम्बी और कठिन है
कार्रवाई के लिए पांच कर्मचारी होने चाहिए। सेम्पल लेकर उसे सील कर दिया जाता है। गवाहों के हस्ताक्षर होने चाहिए। सेम्पल जांच के लिए एफएसएल भेजे जाते हैं, कम से कम दो माह में रिपोर्ट आती है फिर उस प्रकरण को न्यायालय भेजा जाता है। गवाह मिलना मुश्किल होता है। लम्बी प्रक्रिया के चलते निर्णय देरी से आते हैं। इसके कारण सभी पर कार्रवाई नहीं हो पाती है, इन सभी कारणों से मिलावटखोरी पर पूर्णत: विराम नहीं लग पाता है।

-के.के श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी

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