छिंदवाड़ा। गरीब का दर्द या तो गरीब जानता है या वह जिसने अभाव में जिंदगी गुजारी हो। कोरोना संकटकाल में ऐसे कई लोग हैं जो तकलीफ से गुजरने वालों के लिए फरिश्ता बनकर सामने आए और सेवा में जुट गए। मकसद सिर्फ एक कि कोई भूखा नहीं सोए। औरों के दर्द को अपनाकर जीने वाले ऐसे ही कुछ बेमिसाल लोगों में शामिल हैं मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा शहर की गोलगंज निवासी अल्का शुक्ला।
पति के लकवाग्रस्त होने के बाद भी अल्का आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवारों की मदद से जुटी रहीं। साथ ही बेजुबानों के लिए दाने-पानी का इंतजाम किया। तभी तो छिंदवाड़ा में अल्का कोरोना कर्मवीर कहलाने लगी हैं। बड़ी बात यह है कि गत 4 अप्रेल को उनके पति नीरज शुक्ला को लकवा का अटैक आ गया। वे 15 दिन आइसीयू में रहे। इसके बावजूद अल्का सेवा कार्यों में जुटी रहीं।
यूं शुरू हुआ सेवा का सिलसिला (:-
अल्का ने बताया, 22 मार्च को लॉकडाउन लगा तो बरारीपुरा क्षेत्र से फोन आया। वहां कुछ परिवारों के पास खाना नहीं है। मैंने खाना और सूखे अनाज के पैकेट बनाकर तत्काल 20 जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाए। अगले दिन घर पर कुछ महिला साथियों के साथ बैठक की। तय हुआ कि झुग्गी-झोपड़ी सहित अन्य जगहों पर जरूरतमंद परिवारों को खाना पहुंचाएंगे। हर महिला घर से 10-10 लोगों का खाना बनाने लगीं। सुबह-शाम उनके घर जाते और भोजन परोसते। हम सबने मिलकर एक उद्देश्य बनाया कि संकटकाल में कोई भूखा नहीं सोए। जितनी मदद हो सके उतनी की जाए। सबने मिलकर धन राशि भी एकत्र की और मदद करने में उसे लगा दिया।
मूक-बधिर गर्भवती महिला के लिए बनीं फरिश्ता (:-
अल्का और उनकी टीम ने प्रशासन से अनुमति लेकर वृद्धाश्रम सहित कई जगहों पर बुजुर्गों, दिव्यांगों व जरूरतमंदों को सेनेटाइजर, साबुन, मास्क का वितरण भी किया। महिला सदस्यों ने दूसरे जिले या प्रदेशों से पैदल आ रहे मजदूरों को घरों तक भेजा। अल्का तो सोनपुर में मूक-बधिर परिवार के लिए फरिश्ता बनीं। परिवार को न सिर्फ खाने की सामग्री प्रदान की, गर्भवती महिला के लिए दवाओं की व्यवस्था के साथ लगातार उपचार कराया। गुलाबरा क्षेत्र में 10 वर्षीय बच्ची की तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए नागपुर भिजवाया। बालगृह में बच्चों को खिलौने सहित अन्य आवश्यक सामग्री पहुंचाई।
समूह में 100 से अधिक महिला सदस्य (:-
गरीबों की मदद के लिए पहले अल्का ने हाथ बढ़ाया फिर उनके साथ 100 से अधिक महिलाएं सेवा कार्यों के मिशन से जुड़ गईं। अल्का का कारवां और कुनबा बढ़ता ही जा रहा है। महिला समूह जिले में जरूरतमंदों की सेवा में जुटा है।
पति के साथ सामान बनाकर बेचती थीं (:-
अल्का ने बताया, गरीबी काफी करीब से देखी-भोगी। एक समय था जब परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी। पति के साथ घर पर मोमबत्ती, आयोडेक्स, बाम सहित अन्य सामान बनाकर बाजार में बेचतीं। यही वजह है कि उनसे गरीबों का दर्द देखा नहीं जाता।
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