शरद पूर्णिमा के दिन शुरु किया सफर
पुराना पावर हाउस निवासी ओम की एक बड़ी एवं एक छोटी बहन है। माता पदमा विश्वकर्मा गृहिणी हैं एवं पिता बढ़ई हैं। ओम ने बताया कि जब मैंने माता-पिता से साइकिल से उज्जैन जाने की इच्छा जताई तो उन्होंने मना कर दिया था। लेकिन मुझे जीवन में कुछ अलग हटकर करना है। अपनी एक अलग पहचान बनानी है। इसलिए मैंने जीद की और माता-पिता मान गए। 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के दिन साइकिल से मैं पुराना पावर हाउस से उज्जैन के लिए रवाना हुआ। पहली रात बैतूल के पास बालाजिपूरम में कटी। वहीं दूसरी रात हौंशगाबाद, तीसरी रात भोपाल एवं चौथी आष्टा में कटी। पांचवें दिन यानी रविवार को ओम ने उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन किए। अब वे बस के माध्यम से वापस छिंदवाड़ा आएंगे।
पुराना पावर हाउस निवासी ओम की एक बड़ी एवं एक छोटी बहन है। माता पदमा विश्वकर्मा गृहिणी हैं एवं पिता बढ़ई हैं। ओम ने बताया कि जब मैंने माता-पिता से साइकिल से उज्जैन जाने की इच्छा जताई तो उन्होंने मना कर दिया था। लेकिन मुझे जीवन में कुछ अलग हटकर करना है। अपनी एक अलग पहचान बनानी है। इसलिए मैंने जीद की और माता-पिता मान गए। 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के दिन साइकिल से मैं पुराना पावर हाउस से उज्जैन के लिए रवाना हुआ। पहली रात बैतूल के पास बालाजिपूरम में कटी। वहीं दूसरी रात हौंशगाबाद, तीसरी रात भोपाल एवं चौथी आष्टा में कटी। पांचवें दिन यानी रविवार को ओम ने उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन किए। अब वे बस के माध्यम से वापस छिंदवाड़ा आएंगे।
रास्ते में आई परेशानी
ओम ने बताया कि रास्ते में एक समय साइकिल खराब हो गई। उस समय रास्ता पूरा सुनसान था। मैं पैदल ही चल पड़ा। लगभग पन्द्रह किमी चलने के बाद एक दुकान मिली जहां मैंने साइकिल ठीक कराया। वे दिन में ही साइकिल चलाते थे।
ओम ने बताया कि रास्ते में एक समय साइकिल खराब हो गई। उस समय रास्ता पूरा सुनसान था। मैं पैदल ही चल पड़ा। लगभग पन्द्रह किमी चलने के बाद एक दुकान मिली जहां मैंने साइकिल ठीक कराया। वे दिन में ही साइकिल चलाते थे।