जलवायु परिवर्तन से निपटने एवं बिजली संकट को दूर करने में पवन ऊर्जा से जगी उम्मीद

– भारत की कुल स्थापित पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता 39.3 गीगावाट-अकेले विन्ड इनर्जी से 2 लाख रोजगार की उम्मीद

<p>जलवायु परिवर्तन से निपटने एवं बिजली संकट को दूर करने में पवन ऊर्जा से जगी उम्मीद</p>
चेन्नई.
देश में हाल ही सामने आए ऊर्जा संकट एवं वैश्विक तापमान को कम करने दोनों ही दृष्टियों से पवन ऊर्जा का अधिकतम उपयोग इस दिशा में महत्वपूर्ण भू्मिका निभा सकता है। कॉर्नेल विश्वविद्यालय द्वारा किए एक नए शोध से पता चला है कि यदि पवन ऊर्जा के क्षेत्र में अभी से ध्यान दिया जाए तो सदी के अंत तक उसकी मदद से धरती के औसत तापमान में 0.3 से 0.8 डिग्री सेल्सियस तक की कमी आ सकती है। जहां तक भारत में पवन ऊर्जा की स्थिति का सवाल है नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा 31 मार्च 2021 तक के लिए जारी आंकड़ों के अनुसार देश की कुल स्थापित पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता 39.3 गीगावाट है, जो कि विश्व में चौथे स्थान पर है। 2020-21 के दौरान इसकी मदद से करीब 6,015 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया था।
एक अध्ययन के मुताबिक जिस गति से भारत में इस ओर ध्यान दिया जा रहा है उससे साल 2050 तक बिजली के स्त्रोंतो पर निर्भता काफी कम होने वाली है। इस दिशा में अगर राज्यों की बात करें तो देश का कर्नाटक इस दिशा में सबसे आगे है। मार्च 2018 तक राज्य द्वारा स्थापित कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता 12.3 गीगावाट हो गई। पवन ऊर्जा की स्थापना क्षमता देश के दक्षिण, पश्चिम और उत्तरी क्षेत्रों में फैली हुई है।
सरकार के प्रयास
राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को अक्टूबर 2015 में अधिसूचित किया गया था, जिसका उद्देश्य 7600 किलोमीटर की भारतीय तट रेखा के साथ भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र में अपतटीय पवन ऊर्जा विकसित करना था। गुजरात और तमिलनाडु में आठ क्षेत्रों की पहचान की गई है जहां 70 गीगावॉट की संचयी अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता है।
12 लाख नौकरियां
काउंसिल ऑफ एनर्जी, एन्वायरर्मेंट एंट वाटर ने एक अध्ययन भी किया है। जिसके मुताबिक क्लीन एनर्जी पर जो भारत द्वारा योजना तैयार की गई है उससे आने वाले 10 सालों में देश में तकरीबन 12 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। विंड पावर से आने वाले 7 सालों में करीब 2 लाख नौकरियों के आने की उम्मीद है।
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की पहचान
यही नहीं तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश के राज्यों में संभावित नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की पहचान की गई है और इन नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों को एकीकृत करते हुए एक व्यापक पारेषण योजना विकसित की गई है।
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