प्रयास ही मनुष्य को बनाता है उत्कृष्ट

पर्यूषण पर्व मनुष्य को उसकी गलतियों को सुधारने का मौका देता है। ऐसे मौके का लाभ उठा कर जीवन को मंगलमय बना लेना चाहिए। जो गुरु के चरणों में आते हैं परमात्मा बन जाते हैं। इसके लिए सबसे पहले खुद के अंदर विनय और समर्पण की भावना आनी चाहिए क्योंकि विनय के बिना गुरु का मिलन संभव नहीं है।

<p>प्रयास ही मनुष्य को बनाता है उत्कृष्ट</p>
चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा कि जो नींद लेते हैं वे आत्मगुण खोते हैं लेकिन जो जागते हैं वे आगे जाते हैं। पर्यूषण पर्व नींद से उठने और आगे जाने का संदेश लेकर आता है। परमात्मा की वाणी को जिन लोगों ने अपने जीवन में स्वीकार किया उनका उद्घार हो गया। वाणी प्रत्येक आत्मा को परमात्मा के पथ पर बिठा सकती है। ऐसी जिनवाणी जब भी सुनने का मौका मिले तो संसार का हर काम छोडक़र लाभ लेना चाहिए क्योंकि वाणी से मनुष्य को ज्ञान मिलता है और ज्ञान आने पर जीवन में नया पथ मिलता है। पर्यूषण जीवन में परम आनंद देने वाला है। इसकी सबसे मुख्य विशेषता क्षमा भाव होती है। शास्त्र कहते हैं जो अपने राग द्वेष की भावना खत्म कर देते हैं उनका जीवन सार्थक बन जाता है। मनुष्य को क्षमा मागने के लिए हमेशा आगे होना चाहिए। इसके बाद ही परमात्मा का दिव्य जिनशासन संसार के प्रत्येक आत्मा को शांति और आनंद देगा।
पर्यूषण पर्व मनुष्य को उसकी गलतियों को सुधारने का मौका देता है। ऐसे मौके का लाभ उठा कर जीवन को मंगलमय बना लेना चाहिए। जो गुरु के चरणों में आते हैं परमात्मा बन जाते हैं। इसके लिए सबसे पहले खुद के अंदर विनय और समर्पण की भावना आनी चाहिए क्योंकि विनय के बिना गुरु का मिलन संभव नहीं है। संसार में आकर मनुष्य पैसे और परिवार के पीछे तो भाग कर पतन पाया लेकिन अब परमात्मा की ओर बढ़ कर उत्थान करने का प्रयास करना चाहिए। ऐसे मौके का लाभ उठा कर जीवन को मंगलमय बना लेना चाहिए। जो गुरु के चरणों में आते हैं परमात्मा बन जाते हैं।इससे पहले उपप्रवर्तक विनयमुनि ने अंतगढ़ सूत्र पढ़ा। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष आंनदमल छल्लाणी व अन्य लोग उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया। इसी बीच शुभचन्द्र , जिनका देवलोकगमन हो गया, को श्रद्धांजलि दी गई।
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