चेन्नई

तमिलनाडु सरकार ने जताई तीन भाषा फॉर्मूले पर आपत्ति, राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर मंत्रालय की बैठक का किया बहिष्कार

एनईपी के प्रस्तावित तीन भाषा के फार्मूले का तमिलनाडु में कड़ा विरोध हो रहा है और पिछली एआईएडीएमके सरकार ने भी पहले स्पष्ट कर दिया था कि राज्य केवल दो भाषा प्रणाली का पालन करेगा जिसमें तमिल और अंग्रेजी शामिल है।

चेन्नईMay 17, 2021 / 07:41 pm

PURUSHOTTAM REDDY

Tamil Nadu skips online meeting on NEP

चेन्नई.

तमिलनाडु सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की एक ऑनलाइन बैठक का सोमवार को बहिष्कार किया और कहा कि उसे शिक्षा नीति पर मंत्रिस्तरीय चर्चा के लिए केंद्र से अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिली।

पोखरियाल ने शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन और अन्य मामलों पर चर्चा करने के लिए राज्य के शिक्षा सचिवों के साथ बैठक बुलाई थी, लेकिन तमिलनाडु की नवनिर्मित डीएमके सरकार ने शिक्षा नीति में “संशोधन” पर मंत्रीस्तरीय चर्चा की मांग की थी।

तमिलनाडु के स्कूल शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोय्यामोझी ने तिरुचि में पत्रकारों से कहा, “हमने वर्तमान स्वरूप में एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) के कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं के समाधान के रूप में अपने विचारों की पेशकश की। लेकिन केंद्र ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी (और सचिव स्तर की बैठक पर आगे बढ़ाने का फैसला किया)। इसलिए हमने बैठक का बहिष्कार किया।

तीन भाषा फार्मूले के माध्यम से हिंदी और संस्कृत को “मौन” रूप से लागू करने पर आपत्ति जताते हुए मंत्री ने कहा कि शिक्षा का केंद्रीकरण अस्वीकार्य है क्योंकि यह विकसित देशों में भी नहीं है।

उन्होंने कहा, “दिल्ली तय नहीं कर सकती कि तमिलनाडु के लोग, खासकर हमारे ग्रामीण छात्रों को क्या सीखना चाहिए। तमिलनाडु की दो भाषा नीति अन्ना के समय से ही चल रही है। डीएमके के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरै को अन्ना नाम से पुकारा जाता है।

तमिलनाडु में तीन भाषा फॉर्मूले का विरोध
एनईपी के प्रस्तावित तीन भाषा के फार्मूले का तमिलनाडु में कड़ा विरोध हो रहा है और पिछली एआईएडीएमके सरकार ने भी पहले स्पष्ट कर दिया था कि राज्य केवल दो भाषा प्रणाली का पालन करेगा जिसमें तमिल और अंग्रेजी शामिल है।

पोय्यामोझी ने कहा कि तीन भाषा नीति को लागू करने से हिन्दी और संस्कृत के “थोपने” का मार्ग प्रशस्त होगा। मंत्री ने कहा, “हमारा एक बहु-सांस्कृतिक और बहु-भाषाई समाज है। हम हिंदी और संस्कृत को थोपना स्वीकार नहीं कर सकते हैं। तीन भाषा नीति को लागू करने से हमारे ग्रामीण छात्रों को लाभ नहीं होगा। डीएमके अपनी नीतियों पर दृढ़ है। उन्होंने कहा कि डीएमके तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं के खिलाफ है और दावा किया कि एनईपी आरक्षण पर चुप है।

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