देश के कई शहरों मे वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी प्रेक्टो ने दावा किया है कि दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद व कोलकाता में श्वसन संबंधी पूछताछ 20 फीसदी तक बढ़ गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले दिनों कहा था कि प्रदूषण में बढ़ोतरी के चलते कोविड-19 संक्रमण की दर में इजाफा हो रहा है। प्रदूषण के चलते लोग लगातार चिकित्सकों से परामर्श ले रहे हैं। लोग आनलाइन राय ले रहे हैं।
अधिकांश लोग श्वास संबंधी तकलीफ, अस्थमा, धूल से एनर्जी, सूखी खासी संबंधी पूछताछ कर रहे हैं। चिंताजनक बात यह है कि इनमें अधिकांश 21 से 30 आयु वर्ग के युवा हैं। इसके बाद 60 वर्ष एवं उससे ऊपर की उम्र के लोग है। 79 फीसदी पुरुष श्वास संबंधी समस्या बता रहे हैं। इसमें से 34 फीसदी 21 से 30 आयुवर्ग के हैं। वहीं 28 फीसदी 60 वर्ष या उससे ऊपर आयु के हैं। 31 से 40 वर्ष आयु वर्ग के 25 फीसदी, 41 से 50 वर्ष आयुवर्ग के 5 फीसदी तथा 51 से 60 वर्ष आयु वर्ग वाले 2 फीसदी लोग हैं।
अस्थमा, डस्ट एलर्जी, सूखी खासी के मामले अधिक श्वांस संबंधी समस्या, क्रोनिक ओबस्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज, अस्थमा व डस्ट एलर्जी को लेकर अधिक पूछताछ की जा रही है। जिन मेट्रो शहरों से पूछताछ हो रही है उनमें दिल्ली, हैदराबाद, मुम्बई, कोलकाता, बेंगलूरु, चेन्नई व पुणे शामिल है। अन्य शहरों में विशाखापट्टनम, लखनऊ, जयपुर, भुवनेश्वर, कानपुर व इन्दौर शामिल है।
ये हैं वायु दूषित होने के कारण
प्रेक्टो के ईएनटी विशेषज्ञ राजेश भारद्वाज कहते हैं, वायु के प्रदूषित होने के कई कारण हो सकते हैं। दिवाली के समय पटाखे जलाने, निर्माण कार्यों, खेतों में फलिहान को जलाने से भी वायु दूषित हो जाती है। ऐसे में दूषित हवा हमारे शरीर पर सीधा असर डालती है। गर्भवती महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों के लिए यह अधिक हानिकारक है। इससे श्वांस संबधी बीमारियां, एलर्जी, अस्थमा आदि हो जाते हैं। इस तरह के कोई लक्षण दिखने पर तुरन्त चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
प्रेक्टो के ईएनटी विशेषज्ञ राजेश भारद्वाज कहते हैं, वायु के प्रदूषित होने के कई कारण हो सकते हैं। दिवाली के समय पटाखे जलाने, निर्माण कार्यों, खेतों में फलिहान को जलाने से भी वायु दूषित हो जाती है। ऐसे में दूषित हवा हमारे शरीर पर सीधा असर डालती है। गर्भवती महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों के लिए यह अधिक हानिकारक है। इससे श्वांस संबधी बीमारियां, एलर्जी, अस्थमा आदि हो जाते हैं। इस तरह के कोई लक्षण दिखने पर तुरन्त चिकित्सक को दिखाना चाहिए।