छात्रों द्वारा उठाए जा रहे आत्महत्या जैसे कदम पर रोक के लिए शिक्षा प्रणाली के नीति स्तर में बदलाव की जरूरत : सद्गुरु

उन्होंने कहा इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा प्रणाली के नीति स्तर में बदलाव करने को लेकर फाउंडेशन द्वारा केंद्र सरकार से बातचीत की जा रही है।

<p>छात्रों द्वारा उठाए जा रहे आत्महत्या जैसे कदम पर रोक के लिए शिक्षा प्रणाली के नीति स्तर में बदलाव की जरूरत : सद्गुरु</p>
चेन्नई. विद्यार्थियों द्वारा उठाए जा रहे आत्महत्या जैसे कदम पर दुख व्यक्त करते हुए ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने गुरुवार को केंद्र से शिक्षा प्रणाली के नीति स्तर में कुछ बदलाव लाने का आग्रह किया है। यहां ईशा फाउंडेशन के युवा और सत्य नामक एक अभियान के दौरान पत्रकारों से वार्ता में उन्होंने कहा आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है और यह समाज का काफी दर्दनाक मुद्दा बनता जा रहा है। शैक्षणिक प्रणाली के दबाव की वजह से १५ साल तक के नाबालिग भी ऐसा कदम उठा रहे है।
उन्होंने कहा इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा प्रणाली के नीति स्तर में बदलाव करने को लेकर फाउंडेशन द्वारा केंद्र सरकार से बातचीत की जा रही है। हम इस तरह के बदलाव की सिफारिश करने वाले हंै जिससे स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी अपना ५० प्रतिशत शिक्षा में लगाने के साथ ५० प्रतिशत खेल और संगीत सहित अन्य चीजों में भी लगाएं। उन्होंने कहा कि युवाओं में ऊर्जा है उनकी इस ऊर्जा को बरकरार रखने के लिए स्पष्टता और आंतरिक ताकत देने की जरूरत है। युवाओं के बीच स्पष्टता और आंतरिक संतुलन बनाने के उद्देश्य से ही ईशा फाउंडेशन राष्ट्रव्यापी युवा और सत्य अभियान की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि इस महीने चेन्नई, मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली सहित देश के अन्य हिस्सों में १८ युवा और सत्य अभियान होंगे। आगामी तीन साल तक इस अभियान को जारी रखने की योजना बनाई गई है।आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है और यह समाज का काफी दर्दनाक मुद्दा बनता जा रहा है। शैक्षणिक प्रणाली के दबाव की वजह से १५ साल तक के नाबालिग भी ऐसा कदम उठा रहे है। उन्होंने कहा इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा प्रणाली के नीति स्तर में बदलाव करने को लेकर केंद्र सरकार से बातचीत की जा रही है।

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