बिना किसी जांच के 500 लोगों को फर्जी कोविड निगेटिव सर्टिफिकेट बेचने का आरोपी गिरफ्तार

500 रुपए दो और 5 मिनट में सर्टिफिकेट लो

<p>बिना किसी जांच के 500 लोगों को फर्जी कोविड निगेटिव सर्टिफिकेट बेचने का आरोपी गिरफ्तार</p>

चेन्नई.

आपदा में अवसर ढूंढना… एक तरफ लोग कोरोना महामारी के कारण नुकसान झेल रहे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसके अवसर मानते हैं। चेन्नई पुलिस की साइबर क्राइम पुलिस ने कोरोना महामारी की पांच सौ रुपए में फर्जी निगेटिव आरटी पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गिरोह के सरगना को गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर रिमांड पर भेज दिया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि ट्रिप्लीकेन निवासी इरफान खान (29) को गिरफ्तार किया है जबकि उसके अन्य साथियों की तलाश की जा रही है।

पांच मिनट में मिलेगा सर्टिफिकेट
पुलिस के अनुसार यह गिरोह पांच सौ लेकर सिर्फ पांच मिनट में कोरोना का फर्जी निगेटिव सर्टिफिकेट बेच देते थे। दरअसल, व्हाट्सऐप पर एक लैब के नाम से इनका इश्तेहार चल रहा था जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि 500 रुपए में कोविड-19 का निगेटिव सर्टिफिकेट मिल जाएगा। यह गिरोह लोगों को पहले 500 रुपए गूगल पे पर भेजने को कहते और जैसे उनके खाते में पैसे आते तो पांच मिनट के भीतर उनके नाम से व्हाट्सऐप पर फर्जी निगेटिव सर्टिफिकेट भेज दिया जाता था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गिरोह के सदस्यों ने पिछले छह महीनों में 500 से अधिक लोगों को कोरोना का फर्जी निगेटिव सर्टिफिकेट बेच चुके है।

ऐसे हुआ खुलासा
मन्नडी में मेडिकल लैब चलाने वाले हैरिश परवीज (30) सर्तकता की वजह से मामला का भंडाफोड हुआ और पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करने में कामयाब हुई। पुलिस ने बताया कि हैरिश को तब आश्चर्य हुआ जब 500 रुपए में निगेटिव सर्टिफिकेट बांटने वाले इश्तेहार में उसके लैब का नाम शामिल था। उसने उक्त मोबाइल नम्बर पर फोन किया और पूरी जानकारी ली। उससे कहा गया कि वह 500 रुपए ऑनालाइन भेज दे और उसे पांच मिनट में निगेटिव सर्टिफिकेट मिल जाएगा। उसने वैसा ही किया जैसा उससे कहा गया था।

उसे व्हाट्सऐप पर तुंरत निगेटिव सर्टिफिकेट मिल गया जो उसके लैब के नाम से जारी किया गया था। परवीज ने तुरंत फ्लावर बाजार पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। साइबर क्राइम पुलिस के साथ मिलकर आरोपी इरफान खान को गिरफ्तार कर लिया गया, जो बिना किसी जांच के सिर्फ 5 मिनट में कोरोना संक्रमण की फर्जी रिपोर्ट तैयार कर लोगों को बेचता था।

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