फेंफड़े प्रत्यारोपित करा राजस्थान की महिला ने चेन्नई में जीती कोरोना से जंग

फेंफड़े प्रत्यारोपित करा राजस्थान की महिला ने चेन्नई में जीती कोरोना से जंग- पांच महीने तक लड़ी कोरोना से जंग- एयर एंबुलेन्स से जोधपुर से चेन्नई आए- अनूठी मिसाल व समर्पण की कहानी, रक्तदान के लिए एक साथ आगे आए 32 प्रवासी राजस्थानी

<p>Kamala Devi Sou</p>
चेन्नई. कहा जाता है कि राजस्थान के लोग जहां भी जाते हैं अपनी अलग छाप छोड़ते है। यह भी कुछ ऐसे ही समर्पण की कहानी है जो दूसरों के लिए मिसाल भी है। राजस्थान मूल के तमिलनाडु प्रवासी 32 युवाओं ने रक्तदान के माध्यम से उस महिला की जिंदगी को बचाने में अपना योगदान दिया है जो पिछले पांच महीने से कोरोना की जंग लड़ रही थी। महिला के फेंफड़े खराब हो गए थे और अब राजस्थान की कमला देवी सोऊ ने करीब पांच महीने बाद चेन्नई में कोरोना की जंग जीत ली। लेकिन जिंदगी की इस जीत में चिकित्सकों के साथ ही राजस्थान मूल के उन 32 तमिलनाडु प्रवासी युवाओं का भी विशेष योगदान रहा जो रक्तदान के लिए एक साथ आगे आए।
राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर तहसील के गुड़ा भगवानदास के रहने वाले भंवरलाल सोऊ की धर्मपत्नी कमला देवी सोऊ को इस साल 28 अप्रेल को कोरोना हो गया। तब चार से पांच दिन नागौर चिकित्सालय में भर्ती रहना पड़ा। फिर उन्हें बीकानेर रेफर कर दिया। करीब 47 दिन तक बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में जिंदगी की जंग जारी रही। इसके बाद एक बार फिर चिकित्सकों की सलाह पर जोधपुर एम्स में भर्ती करवाया गया। इसके बाद कोरोना से तो एक बार निजात मिल गई लेकिन फेंफड़ों ने काम करना बन्द कर दिया। लेकिन कमलादेवी के पति भंवरलाल सोऊ ने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर चिकित्सकों की सलाह पर कमला देवी को जोधपुर से एयर एंबुलेन्स से चेन्नई के एमजीएम हैल्थकेयर लेकर आए।
फेंफड़ों का ट्रांसप्लान्ट
यहां चिकित्सकों ने फेंफड़ों का ट्रांसप्लान्ट कराने के लिए कहा। परिवार वालों की सहमति मिलने पर चिकित्सकों ने फेंफड़ों का ट्रांसप्लान्ट कर दिया। इस सफल ऑपरेशन के लिए राजस्थान मूल के तमिलनाडु प्रवासी 32 युवाओं ने रक्तदान किया। इसके लिए भंवरलाल सोऊ परिवार ने रक्तदाताओं का आभार ज्ञापित किया।
हर एक ने किया सहयोग
कमला देवी के पति भंवरलाल सोऊ ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि हमने जिंदगी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए और इस काम में चिकित्सकों से लेकर परिवार, रिश्तेदारों व मित्रों का भरपूर सहयोग मिला। यही वजह रही कि उनकी जिंदगी को बचाया जा सका।
प्रवासी युवा आए आगे
चेन्नई प्रवासी एवं राजस्थान के नागौर जिले के कुडछी गांव के हुकमाराम गोदारा ने बताया कि जब हमें प्रवासी राजस्थानी महिला के अस्पताल में भर्ती होने का पता चला और जब रक्तदान की आवश्यकता महसूस हुई तो हमने प्रवासी युवाओं से संपर्क किया। प्रवासी युवाओं ने समय पर पहुंचकर रक्तदान में सहयोग दिया।
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