जिससे नियम को लागू कराने पर सवाल उठ रहा है। प्राप्त डाटा के अनुसार तमिलनाडु में नियमों को लागू कराने की स्थिति बेहद खराब होने के बावजूद सड़क सुरक्षा में इसे सर्वश्रेष्ठ राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके लिए गंभीर आत्मनिरीक्षण की जरूरत है। राष्ट्रीय रोड सुरक्षा काउंसिल के सदस्य कमल सोइ ने बताया कि ऐसी स्थिति का मतलब सिर्फ यह है कि या तो ड्राइवरों को पुलिस कार्रवाई का डर नहीं है या फिर पकड़े जाने पर भी भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। टै्रफिक पुलिस द्वारा जारी डाटा के अनुसार वर्ष 2019-20 में करीब 41 हजार लोगों पर बिना वैध लाइसेंस का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें से 6100 लोग चेन्नई के थे।
पिछले साल की तुलना में यह 30 प्रतिशत अधिक है। चेन्नई ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने बताया हमारे पास देर से ट्रैफिक चेकिंग पॉइंट्स संख्या में वृद्धि हुई है। लेकिन उसके बावजूद कुछ वाहन चालक पुलिस चेकपोस्ट से बचने के लिए अन्य मार्गो का सहारा लेकर निकल जाते हैं। इस प्रकार के उल्लंघनकर्ताओं को पकडऩे के लिए अब जांच वाहनों की संख्या में वृद्धि की गई है। दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाने के लिए आम लोगों का सहयोग बहुत ही जरूरी है। कमल सोइ ने बताया पुलिस अधिकारियों को जुर्माना वसूलने तक ही सिमित नहीं होना चाहिए, बल्कि वाहनों को जब्त कर उन्हें आगे नहीं बढऩे देना चाहिए, क्योंकि इस प्रकार के चालक दूसरों के जीवन को खतरे में डालते हैं।
-ड्राइविंग परीक्षण प्रणाली भी खराब
उन्होंने कहा कि वैध लाइसेंस होने के बाद भी 47 हजार 800 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुई थी और इससे स्पष्ट होता है कि ड्राइविंग परीक्षण प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है। सड़क परिवहन और राजमार्ग के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को चेन्नई में आयोजित सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा था कि यूनाइटेड एस्टेट में लाइसेंस पाना बहुत ही मुश्किल है, लेकिन भारत में यह बहुत ही आसान है। देश के लिए यह अच्छी बात नहीं है। उन्होंने लाइसेंस जारी करते समय अधिक कठोर प्रक्रिया लाने की आवश्यकताओं पर भी जोर दिया था। सट्टा पंचायत अय्यक्कम नामक भ्रष्टाचार निरोधक एनजीओ के सेंथिल अरुमुगम ने बताया राज्य में ड्राइविंग परीक्षण के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग विकल्पों के साथ स्वचालित परीक्षण ट्रेक पेश करना चाहिए।