चेन्नई में कोरोना मरीजों की पोजिटिविटी दर अपने सर्वाधिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। मंगलवार को आए कोरोना के मामलों के बाद संक्रमण दर 23.8 प्रतिशत हो गई है। वहीं तमिलनाडु में कोरोना संक्रमण दर 9.8 प्रतिशत से अधिक है जो चेन्नई में कोरोना संक्रमण दर का आधा है। अगर महानगरों की बात की जाए तो चेन्नई का कोरोना संक्रमण दर मुम्बई से अधिक है। मंगलवार को मुम्बई का कोरोना संक्रमण दर 15 प्रतिशत दर्ज हुआ है। इसी समय पिछले 24 घंटों में मुम्बई में 45,350 आरटी-पीसीआर टेस्टिंग किए गए जिसमें 7,214 कोरोना के मरीज मिले।
मंगलवार को 15,615 आरटी-पीसीआर टेस्टिंग किए गए जिसमें 3711 पोजिटिव मरीज मिले। वहीं, अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज कुछ दिन के उपचार के बाद ही दम तोड़ रहे हैं। इससे शहर में कोरोना की मृत्युदर 1.52 प्रतिशत से अधिक हो गई है। जबकि रिकवरी दर 88 प्रतिशत पर बना हुआ है।
45 दिन में संक्रमण दर 20 प्रतिशत पार
डेटा विश्लेषक विजयआनंद के अनुसार चेन्नई में कोरोना की दस्तक देने के बाद संक्रमण दर 3 प्रतिशत था लेकिन जब कोरोना के मामलों में तेजी आई तो संक्रमण दर 21 प्रतिशत हो गया था। इसमें साढ़े तीन महीने का समय लगा था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में 20 प्रतिशत संक्रमण दर पार करने में केवल 45 दिन का समय लगा।
फरवरी में चेन्नई का कोरोना संक्रमण दर 3 प्रतिशत था और अब यह 23 प्रतिशत हो गया है। जिस तरह से कोरोना के मामले आ रहे है उससे यह प्रतीत होता है कि अगले 3-4 दिनों में संक्रमण दर 25 प्रतिशत हो जाएगा। कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने से स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है।
50 हजार से ज्यादा हैं एक्टिव केस
डेटा विश्लेषक के अनुसार चेन्नई में कोविड की शुरुआत से मंगलवार तक कुल 2,90,364 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसमें से 2,57,927 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं जबकि अब तक चेन्नई में कुल 4432 लोगों की जान कोरोना ने ली है। मृत्यु दर 1.52 प्रतिशत है और इस वक्त 28005 एक्टिव केस हैं। डेटा विश्लेषक के अनुसार एक सप्ताह में चेन्नई में कोरोना के एक्टिव केस 50 हजार हो जाएंगे जबकि राज्य में अगले कुछ ही दिनों में एक्टिस केए एक लाख तक हो जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग पर बढ़ेगा बोझ
राज्य में फिलहाल कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कोरोना के डबल म्यूटेंट वैरिएंट को कारण माना जा रहा है। कोरोना डबल म्यूटेंट वैरिएंट को पहली बार पिछले साल अक्टूबर में ही डिटेक्ट कर लिया गया था। हालांकि जीनोम सीक्वेंस टेस्टिंग की रफ्तार धीमी होने की वजह से इस पर तेजी से कदम नहीं उठाए जा सके। अब खतरा और बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम को महानगर में कोविड अस्पताल में बेड और सपोर्ट सिस्टम को बढ़ाना पड़ेगा।