नई दिल्ली। आमतौर पर गृह विज्ञान का विषय लड़कियों का क्षेत्र माना जाता है, लेकिन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से तैयार किए गए एक नोट को कैबिनेट की मंजूरी मिल गए तो लड़कों को भी स्कूलों में गृह विज्ञान को अनिवार्य रूप से पढऩा पड़ सकता है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रियों के एक समूह ने नेशनल पॉलिसी फॉर वुमन 2017 मसौदे को स्वीकृति दे दी है। अब इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा गया है।मसौदे में कहा गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय स्कूली पाठ्यक्रम की फिर से पुनर्रचना करे ताकि लड़के और लड़कियां एक समान है, इसे बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही गृह विज्ञान और शारीरिक शिक्षा को लड़के और लड़कियों के लिए अनिवार्य किया जाए।मसौदे में कामकाजी महिलाओं को बढ़ावा देने के साथ ही वेतन में बराबरी पर भी जोर दिया गया है। यही नहीं, महिला समूहों को कर में छूट देने की बात कही गई है। कार्यालयों में अनिवार्य रूप से डे केयर खोलने पर भी जोर दिया गया है। मंत्रालय के अनुसार, तलाकशुदा और विधवा महिलाओं को भी कर में छूट दी जाए। मसौदे में मंत्रालय ने एक सुझाव यह भी दिया है कि स्कूल बसों में महिलाओं की चालकों के रूप में नियक्ति की जाए ताकि इससे न सिर्फ रोजगार मिलेगा, बल्कि स्कूली छात्राओं के खिलाफ होने वाले यौन शोषण अपराधों में भी कमी आएगी। मंत्रालय की ओर से यह मसौदा 15 साल बाद तैयार किया गया है। अंतिम बार ऐसा मसौदा 2001 में आया था। शुरुआती मसौदा पिछले साल मई 2016 में जारी किया गया था जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंत्रियों का समूह गठित किया था। अध्ययन के बाद समूह ने कुछ सुझाव दिए हैं।