पेट्रोल पंप पर जल्द होगी bs6 फ्यूल की बिक्री, क्या होगा अगर पुरानी गाड़ियों में डाला जाएगा ये ईंधन

नए ईंधन की केमिकल प्रॉपर्टीज भी फिलहाल मार्केट में मिल रहे पेट्रोल-डीजल से अलग होगी । यहां ध्यान रखने वाली बात ये है BS4 से BS6 हो जाने पर पेट्रोल पर नहीं बल्कि डीजल पर ज्यादा असर होगा।

नई दिल्ली : 1 अप्रैल 2019 से bs6 एमिशन नॉर्म्स ( (BS6 Emmision Standard) लागू होने के साथ ही पेट्रोल पंप पर इन वाहनों में पड़ने वाला ईंधन भी पेट्रोल पंप पर मिलना शुरू हो जाएगा । नए ईंधन की केमिकल प्रॉपर्टीज भी फिलहाल मार्केट में मिल रहे पेट्रोल-डीजल से अलग होगी । यहां ध्यान रखने वाली बात ये है BS4 से BS6 हो जाने पर पेट्रोल पर नहीं बल्कि डीजल पर ज्यादा असर होगा। नए डीजल में सल्फर की मात्रा कम होगी । सल्फर कम होने की वजह से ईंधन के उत्सर्जन में NOx और कार्बन मोनाऑक्साइड (CO) और हाइड्रोकॉर्बन की मात्रा कम होगी। फिलहाल बिक रहे डीजल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम और BS6 डीजल में इसकी मात्रा महज़ 10 पीपीएम रह जाएगी। इससे साफ तौर पर प्रदूषण कम होगा । हालांकि, ईंधन की सल्फर कंटेट की मात्रा होना भी एफिसिएंसी के लिए जरूरी होता है।

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जिस ईंधन में सल्फर (Sulphur Content in Fuel) की मात्रा जितनी कम होगी, वो ईंधन उतना ही साफ और प्रदूषण के लिहाज से बेहतर होगा। ऐसे में BS6 स्टैंडर्ड को लेकर लोगों के मन में कई तरह की बातें हैं।

bs4 वाहनों में bs6 ईंधन डालने पर क्या होगा ?

अगर आपके पास BS4 इंजन वाली यानि पुरानी कार है और आप उसमें BS6 ईंधन का प्रयोग करते हैं । आमतौर पर, ईंधन में सल्फर ल्यूब्रिकेंट की तरह काम करता है। इसी को ध्यान में रखते हुए BS6 फ्यूल में एक्सट्रा एडिटिव्स होंगे जो कि इंजन में ल्यूब्रिकेंट का काम करेगा । उत्सर्जन स्तर का स्तर तभी मेंटेन किया जा सकेगा, जब BS6 इंजन में BS6 ईंधन का ही प्रयोग किया जाए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो प्रदूषण के लिहाज से कोई फायदा नहीं है। हालांकि, एक BS4 इंजन की कार BS6 ईंधन पर काम कर सकती है। लेकिन, इसका माइलेज 7 फीसदी तक कम हो सकता है।

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लेकिन अगर BS6 कार में पुराना ईंधन डालेंगे तो कार के इंजन पर बुरा असर पड़ेगा। इससे कार की फ्यूल इकोनॉमी भी बिगड़ जाती है जिससे कार के माइलेज पर फर्क पड़ता है । इससे कार की इंजन की उम्र कम हो जाती है।

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