बदलाव को पकडऩे में नाकाम –
मौजूदा डब्ल्यूपीआइ का आधार वर्ष 20211-12 है। इसमें शामिल उत्पादों की संख्या सीमित है, इसलिए यह हाल के वर्षों में उत्पादन रुझान में हुए बदलाव को पूरी तरह से पकडऩे में नाकाम रहा है। उत्पाद बास्केट बढऩे से बीते वर्षों के दौरान उपभोग के तरीके में बदलाव वाले ज्यादा उत्पादों का पता लगाने में मदद मिल सकती है। ऐसे में महंगाई की साफ तस्वीर सामने आएगी। उत्पादन काफी हद तक उपभोग से ही तय होता है।
शामिल किए गए कई नए उत्पाद –
कृषि जिंसों में ईसबगोल, एलोवेरा एवं मेंथॉल, सौंफ एवं मेथी, मोठ, मशरूम और तरबूज जैसे नए उत्पाद शामिल किए गए हैं। कीमतें पता करने में तकनीकी दिक्कत के कारण पत्तेदार सब्जियों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दे रही है, इसलिए संशोधित डब्ल्यूपीआइ में सौर ऊर्जा की कीमतों में बदलाव भी शामिल होगा।
सांख्यिकी के संकलन में मिलेगी मदद –
देश में अब खुदरा महंगाई का मापक है, लेकिन डब्ल्यूपीआइ ज्यादा पुराना होने से इसे अब भी महंगाई में कीमतों का व्यापक मापक माना जाता है। डब्ल्यूपीआइ राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी के संकलन में मदद देता है। इसका व्यापक इस्तेमाल कच्चे माल, संयंत्र एवं मशीनरी, निर्माण, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को खरीदने में एस्केलेशन क्लॉज में भी होता है।
सूचकांक में शामिल उत्पादों की मौजूदा संख्या 692 है ।
उत्पादों की संख्या अब बढ़ाकर 1,196 करने के आसार हैं ।
ईंधन एवं ऊर्जा का हिस्सा घटकर 11 प्रतिशत रह सकता है ।
खाद्य सूचकांक का हिस्सा 24 प्रतिशत से बढ़कर 27 प्रतिशत होगा ।
आधार वर्ष 2011-12 की जगह अब बढ़ाकर 17-18 किया जाएगा ।