Happy New Year Songs : आने वाले साल को सलाम.. संगीत के खजाने में नए साल के गीत कम नहीं

नए साल पर फिल्मों के कई पुराने गीत जमाते हैं रंग
कभी गीतकारों का रहता था मौके के गीतों पर जोर
अब ‘बैंड-बाजा-बाराती’ टाइप के गानों का शोर ज्यादा

<p>Happy New Year Songs : आने वाले साल को सलाम.. संगीत के खजाने में नए साल के गीत कम नहीं</p>

-दिनेश ठाकुर
पुराने फिल्म संगीत ( Bollywood Songs ) के खजाने में हर मूड, हर मौसम, हर मौके, हर माहौल के गीत मौजूद हैं। एक दौर था, जब रेडियो और दूरदर्शन पर किसी खास दिन कुछ खास गीत छाए रहते थे। नए साल ( New Year ) पर दूरदर्शन के ‘चित्रहार’ ( Doordarshan Chitrahaar ) और ‘रंगोली’ ( Doordarshan Rangoli ) में नए साल की थीम वाले गीत दिखाए जाते थे। यह घरेलू किस्म की रस्म थी, जो घर-घर नए साल के उत्साह- उमंग में कुछ और रंग घोल देती थी। खास मौके की थीम वाले गीत उस मौके पर ज्यादा सुहाते हैं। जैसा कि मोहम्मद अल्वी ने फरमाया है- ‘रोज अच्छे नहीं लगते आंसू/ खास मौकों पे मजा देते हैं।’ इसी तरह कुछ गीत शायद रोज सुनने पर ज्यादा न भाएं, मौके पर सुनिए तो उनकी शब्दावली से कुछ नए अर्थ खुलते हैं। मसलन ‘होली के दिन दिल मिल जाते हैं’ (शोले) में जो मौज-मस्ती है, उसका असली मजा होली पर ही लिया जा सकता है। होली, दीपावली, ईद, राखी, जन्माष्टमी से लेकर सर्दी, गर्मी, बारिश तक पर पुरानी फिल्मों में गीत लिखे गए। नई फिल्मों में यह सिलसिला कमजोर पड़ गया है। अब फिल्मों में ‘बैंड- बाजा- बाराती’ टाइप के गीतों पर ज्यादा जोर है। और शोर-शराबा इतना कि शब्दावली को उभरने का मौका नहीं मिलता। नए गीतों में शब्दों की ताकत लगातार घटती जा रही है।

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मौके के गीतों के मास्टर आनंद बक्षी
उन गीतकारों और संगीतकारों का शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए, जिन्होंने नए साल के मौके के लिए खिले-खिले ऐसे गीत रचे। ये सुकून भी देते हैं और हौसला भी बढ़ाते हैं। मौकों पर गीत रचने के मामले में गीतकार आनंद बक्षी मास्टर थे। नए साल पर दूरदर्शन के ‘चित्रहार’ में और कोई गीत भले रह जाए, आनंद बक्षी ( Anand Bakshi ) का ‘आने वाले साल को सलाम, जाने वाले साल को सलाम’ जरूर दिखाया जाता था। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की सीधी-सादी धुन वाला यह गीत अनिल कपूर और रति अग्निहोत्री की ‘आपके साथ’ का है। आनंद बक्षी के ‘नए पुराने साल में इक रात बाकी है’ (रक्षा) और ‘नया नया होता है पुराना पुराना’ (जागीर) भी नए साल के जश्न की रौनक बढ़ाते रहे हैं।

साल पुराना हुआ फसाना…
बरसों पहले राजेन्द्र कृष्ण ने ‘सम्राट’ (1954) के लिए सलौना-सा गीत रचा था- ‘साल पुराना हुआ फसाना, छोड़ो भी ये किस्सा/ नई बहारें, नई जवानी नए साल का हिस्सा।’ आशा भौसले की चांदी के सिक्के की तरह खनकती आवाज और हेमंत कुमार की सुरीली धुन वाले इस गीत में नए साल की उमंग छन-छन कर महसूस होती है। राजेन्द्र कृष्ण ने नए साल की थीम पर एक और सदाबहार गीत शम्मी कपूर- साधना की ‘सच्चाई’ के लिए लिखा- ‘सौ बरस की जिंदगी से अच्छे हैं प्यार के दो-चार दिन।’ फिल्म में यह नए साल की पार्टी पर फिल्माया गया था।

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नया साल आए, तमाशे दिखाए
गीतकार अंजुम जयपुरी के ‘साल मुबारक आया, जियो मेरे राजा’ (टूटे खिलौने), निदा फाजली के ‘नया साल आए तमाशे दिखाए/ किसी को हंसाए, किसी को रुलाए’ (नजराना प्यार का) और गौहर कानपुरी के ‘आधी रात आई तो ख्याल आया है’ (बहारों की मंजिल) में भी नए साल का माहौल बांधा गया। राज कपूर और राजेन्द्र कुमार की ‘दो जासूस’ में रवीन्द्र जैन ने नए साल पर दो गीत रचे- ‘साल मुबारक साहब जी’ और ‘हैप्पी न्यू ईयर टू यू।’कुछ साल पहले फराह खान ‘हैप्पी न्यू ईयर’ ( Happy New Year ) (शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण) नाम की फिल्म बना चुकी हैं। इसके गीत शायद ही किसी को याद हों।

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