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दरअसल शिक्षा मंत्री की नातिन बोकारो के चास स्थित एक निजी स्कूल में चौथी स्कूल की छात्रा हैं। स्कूल की ओर से फिलहाल कोरोना को देखते हुए ऑनलाइन क्लास लगाई जा रही है। इसके लिए केवल ट्यूशन फीस ली जा रही है। उक्त बच्ची की अप्रैल से सितंबर की ट्यूशन फीस बकाया थी। इस पर शिक्षा मंत्री की बेटी ने उन्हें अवगत कराया था। शिक्षा मंत्री ने स्कूल प्रशासन से फीस जमा कराने का आश्वासन देते हुए बच्ची का नाम नहीं काटने की अपील की थी। इस सब के बावजूद स्कूल ने बच्ची को ऑनलाइन क्लास से वंचित कर दिया और उसका नाम भी वर्चुअल क्लास के लिंक से हटा दिया।
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इस बात की सूचना जब शिक्षा मंत्री को मिली तो वह खुद स्कूल पहुंचे। मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने बच्ची की बकाया ट्यूशन फीस 22,800 रुपए जमा कराई। उन्होंने स्कूल की प्रभारी से भी चर्चा की। हालांकि स्कूल प्रशासन ने लिंक से नाम हटने की बात से इंकार किया है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि जनता को स्कूल फीस जमा कराने और स्कूलों की मनमानी की खबरें मिलती रहती हैं, अभिभावकों और बच्चों का शोषण तो नहीं हो रहा यह स्थिति जानने के लिए वह खुद यहां पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि कैबिनेट में निजी स्कूलों की फीस वसूली के मुद्दे को उठाया जाएगा।
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यह है गाइडलाइन…
गौरतलब है कि कोरोना काल में अभिभावकों पर किसी तरह का भार नहीं पड़े और बच्चों की पढ़ाई भी ना रूके इसे ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से विशेष गाइडलाइन जारी की है। तीन माह पूर्व निजी स्कूल प्रबंधन और अभिभावक संघों के प्रतिनिधियों के बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि इस साल फीस वृद्धि नहीं होगी। ऑनलाइन पढ़ानेवाले स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेंगे। ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कराने वाले स्कूल ट्यूशन फीस भी नहीं ले सकेंगे। साथ ही लॉकडाउन की अवधि के दौरान अभिभावकों को फीस के लिए दबाव नहीं बनाए जाने की बात भी उन्होंने कही थी।