मृत संजीवनी मुद्रा
हृदयरोगियों में यह हृदयाघात की आशंका को घटाकर इस अंग को ताकत देता है। यह सर्दी में खासतौर पर नसों व धमनियों पर होने वाले दबाव को कम करता है। साथ ही ब्लड प्रेशर को सामान्य रखता है।
ऐसे करें: शांत जगह पालथी लगाकर बैठें। तर्जनी अंगुली को अंगूठे के निचले भाग पर लगाएं। फिर मध्यमा और अनामिका अंगुली को अंगूठे से छुएं। कनिष्ठिका अंगुली को सीधा रखें।
ध्यान रखें: इस मुद्रा में दिन में दो बार १०-१५ मिनट के लिए ही इसे करें।
गोमुखासन :
इस आसन को करने के दौरान शरीर की जो मुद्रा बनती है वह गाय के मुख के जैसी होती है। इसलिए इसे गोमुखासन कहा जाता है।
ध्यान रखें: कंधे, पीठ, गर्दन, कूल्हों या घुटनों में किसी तरह की परेशानी हो तो इसका अभ्यास करने से बचें।
ऐसे करें: सुखासन में बैठकर बाएं पैर की एड़ी को दाईं ओर कूल्हे के पास रखें। दाएं पैर को बाएं पैर के ऊपर से लाते हुए ऐसे बैठें कि दोनों पैरों के घुटने एक दूसरे के ऊपर आ जाएं। दाएं हाथ को सिर की तरफ से पीठ की ओर ले जाएं। साथ ही बाएं हाथ को कोहनी से मोड़ते हुए पेट की तरफ से घुमाते हुए पीठ की तरफ ले जाएं। पीछे से दोनों हाथों को मिलाते समय एक सीधी रेखा बनाएं। सामान्य सांस लें। इस अवस्था में कुछ देर रुकने के बाद प्रारंभिक स्थिति में आएं।
सर्पासन :
यह सेहतमंद हृदय के लिए अच्छा आसन है। योग के दौरान शरीर की मुद्रा सांप जैसी होने से इसे सर्पासन कहते हैं।
ऐसे करें: जमीन पर पेट के बल लेटकर दोनों पैरों को सीधा रखें। दोनों हाथों को कोहनी से मोड़ते हुए हथेलियों को सीने के बगल में जमीन पर रखें। गहरी सांस लेते हुए कमर से ऊपरी हिस्से को ऊपर उठाएं।
गर्दन-कमर के नीचे के हिस्से को तानकर रखें। कमर से ऊपर का भाग ऊपर न उठ जाएं तब तक इस आसन को करें।