प्रमुख लक्षण
ब्रेस्ट में सूजन या त्वचा में परिवर्तन, अंडर आम्र्स के आसपास गठान महसूस होना, ब्रेस्ट से डिस्चार्ज व आकार बदल जाना, ब्रेस्ट की त्वचा पर छोटे-छोटे चकत्ते, हमेशा हल्का दर्द रहना, छूने पर ब्रेस्ट की त्वचा शरीर की तुलना में अधिक गर्म।
जरूरी जांचें
मेमोग्राफी (एक प्रकार का एक्स-रे) या अल्ट्रासाउंड के जरिए गांठ का पता लगाया जाता है। संदेह होने पर डॉक्टर एफएनएसी या बायोप्सी करवाकर यह निश्चित करते हैं कि अमुक गांठ कैंसर की है या नहीं।
इसलिए बढ़ते हैं मामले
किसी भी प्रकार की गांठ होने पर महिलाएं अक्सर इसे सामान्य गांठ मानकर अनदेखी कर देती हैं। ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त करीब 60 प्रतिशत महिलाएं आखिरी स्टेज पर इसकी जांच करवाती हैं क्योंकि गांठ में दर्द आखिरी स्टेज में ही महसूस होता है। इसमें लापरवाही सही नहीं है। यदि समय रहते इसकी पहचान हो जाए तो इलाज संभव है।
ऐसे कर सकते हैं बचाव
धूम्रपान से से पूरी तरह परहेज करें।
शरीर का वजन नियंत्रित रखें। इसके लिए अपने खानपान, जीवनशैली में परिवर्तन लाएं। रोजाना व्यायाम व प्राणायाम करें।
शाकाहारी भोजन लें क्योंकि हरी सब्जियों में फाइटोन्यूट्रिएंंट्स होते हैं जो इसके खतरे को कम करते हैं।
गर्भनिरोधक दवाओं को अधिक लेने सेे बचें।
हार्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी के दौरान विशेषज्ञ से इसके साइडइफैक्ट के बारे में अवश्य जान लें क्योंकि यह भी कई बार ब्रेस्ट कैंसर का कारण बनती है।
बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी तरह की दवा न लें।