धनुरासन
न करें : हर्निया, पेट में अल्सर, उच्च रक्तचाप से पीडि़त व्यक्तिइसका अभ्यास न करें।
यह हठ योग का मूल आसन है। इसमें शारीरिक मुद्रा धनुष के आकार जैसी बनती है।
विधि: पेट के बल लेटकर शरीर को ढीला छोड़ें। दोनों पैरों के बीच डेढ़ फीट की दूरी रखें। हथेलियों से पैरों की एडिय़ां पकडक़र पैरों को घुटने से पीछे की तरफ मोड़ते हुए कूल्हों तक ले आएं। हाथों को सीधा रख पैरों को पीछे की ओर खींचें और कूल्हों, सिर-कंधों को ऊपर उठाएं। सांस लेने-छोडऩे की क्रिया जारी रखें। इस अवस्था में २० सेकंड रुकें। धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।
मकरासन
जमीन पर पेट के बल लेटने के दौरान शरीर की आकृति मगरमच्छ जैसी होती है। इसे आसनों को करने के बाद शिथिलिकरण के लिए करते हैं। इस दौरान दिमाग रिलैक्स होता है जिससे तनाव दूर होता है।
विधि: पेट के बल लेट जाएं। इसके बाद पैरों को एक-दूसरे से दूर फैलाकर, पंजों को बाहर की ओर रखें। दोनों हाथों को मोड़ते हुए बाएं हाथ पर दायां हाथ रखें। माथे को अपने हाथों पर रखें। आंखें धीरे-धीरे बंद कर लें। यह स्थिति मकरासन कहलाती है।
न करें : लो ब्लड प्रेशर, हृदय से जुड़ी समस्याएं और गर्भावस्था में इसे न करें।
शलभासन
विधि: लेटकर ठुड्डी को जमीन पर टिकाएं। दोनों हाथों को शरीर के बगल में रखें। ध्यान रखें हथेलियां नीचे की ओर हों। अब सांस लेते हुए जितना हो सके पैरों को जमीन से ऊपर उठाएं। हाथों को ऐसे बढ़ाएं कि शरीर जमीन से ऊपर उठ सके। १०-२० सेकंड तक इस अवस्था में रुके रहें। इसके बाद सांस बाहर छोड़ते हुए धीरे-धीरे पैरों को जमीन पर वापस लाएं। कुछ देर के लिए मकरासन की स्थिति में रहें।
मकरासन की स्थिति में किया जाने वाला यह आसन एक कीड़े (टिड्डा) की आकार में होता है।
न करें : हृदय संबंधी, पेप्टिक अल्सर, हर्निया, पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने पर न करें।