ये ध्यान रखें : पहली तिमाही में ज्यादा सीढियां चढऩा-उतरना, भागना-दौडऩा न करें व तेजी से पैर रखकर न चलें। दूसरी तिमाही में झटके से उठने या बैठने के बजाय संभलकर चलने व 7-8 घंटे की नींद लेने के लिए कहते हैं ताकि पेट पर धीरे-धीरे बढ़ रहे प्रेशर से तनाव न हो। वहींए तीसरी तिमाही में पेट का उभार ज्यादा होने से दबाव बढ़ता है। ऐसे में ज्यादातर बायीं तरफ करवट लेकर लेटें ताकि बच्चे तक रक्तसंचार बेहतर हो। लेटा न जाए तो कमर के पीछे तकिया लेकर बैठें।
7-8 दिन पूर्व डक वॉक : सामान्य प्रसव की संभावना बढ़ाने के लिए वॉक व डक वॉक को प्रसव की तिथि से 7.8 दिन पहले शुरू करने के लिए कहते हैं। इसमें घुटनों को मोड़कर स्क्वैट की अवस्था में धीरे-धीरे चलें। इससे बच्चा नीचे खिसकता है। बीपी (BP), मधुमेह (diabetes), पहले अबॉर्शन (abortion), अधिक उम्र में आईवीएफ प्रेग्नेंसी (IVF pregnancy) है तो विश्ेाषज्ञ की सलाह से करें।
अधिक वजन न उठाएं : प्रेग्नेंसी में ज्यादा चलने पर हांफ रही हैं या थक रही हैं तो खून की कमी से ऐसा हो सकता है। वहीं पैरों में सूजन का एक कारण प्रोटीन की कमी या हाई ब्लड प्रेशर भी हो सकता है। जमीन पर पाटे या चौकी के सहारे बैठें। कुछ उठाने के लिए घुटने मोड़कर हल्का सा नीचे होकर बगल से उठाएं। अधिक वजन न उठाएं वर्ना कमरदर्दए प्लेसेंटा फटने की आशंका रहती है। 9वें माह की शुरुआत से ही पोंछा लगाना जारी रखें।
3 से छठे माह में झटके से उठने या बैठने के बजाय संभलकर चलें। इससे पेट पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा।
9 वें माह की शुरुआत से महिला को पोंछा लगाना जारी रखना चाहिए ताकि बच्चा नीचे खिसक सके।
2 घंटे आराम जरूरी
यदि प्रेग्नेंसी हाई रिस्क हैए प्लेसेंटा अपनी जगह नहीं हैए शुरू में ब्लीडिंग हुई थी या नहींए खून की कमी या ब्लड प्रेशर संबंधी समस्या है तो धीरे चलनेए उतरने.चढऩेए लंबे समय नहीं बैठे या खड़े रहने की मनाही होती है। यदि प्लेसेंटा ज्यादा नीचे है तो भी अधिक ध्यान रखने की जरूरत है। इसके अलावा दिन में दो घंटे आराम जरूर करें।