रूमेटाइड आर्थराइटिस : आप डिप्रेशन का ऐसे कीजिए मुकाबला

रूमेटाइड आर्थराइटिस में मरीज को जोड़ों में दर्द, सूजन, जकडऩ आदि का दर्द तो झेलना ही पड़ता है साथ ही जीवन दूभर हो जाने की वजह से डिप्रेशन और थकान की पीड़ा भी झेलनी पड़ती है।

<p>रूमेटाइड आर्थराइटिस : आप डिप्रेशन का ऐसे कीजिए मुकाबला</p>

रूमेटाइड आर्थराइटिस में मरीज को जोड़ों में दर्द, सूजन, जकडऩ आदि का दर्द तो झेलना ही पड़ता है साथ ही जीवन दूभर हो जाने की वजह से डिप्रेशन और थकान की पीड़ा भी झेलनी पड़ती है।

डिप्रेशन क्यों?
हर वक्त जकडऩ और दर्द का दंश शरीर के साथ साथ मन को भी पीडि़त करता है। रोग के क्रॉनिक होने और किसी भी तरह इससे छुटकारा न मिलने व आए दिन चिकित्सक के चक्कर लगाने, तरह तरह की दवाएं लेने व परहेज की मजबूरी से मरीज दुखी रहने लगता है। उसकी लाइफ की क्वालिटी गड़बड़ा जाती है। माना जाता है कि इस रोग में इम्यून सेल्स से कुछ खास प्रकार के केमिकल का उत्सर्जन भी होता है, जो डिप्रेशन का सबब बन सकता है।

थकान क्यों?
शरीर के हर जोड़ में दर्द होने, चलने फिरने में अत्यधिक मेहनत करने की वजह से शरीर आसानी से थक जाता है। यह थकान रूमेटाइड आर्थराइटिस के शुरूआती दौर में अधिक होती है और इससे महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती है। कई बार इसके इलाज के लिए प्रयुक्त पेन किलर दवाओं से गैस्ट्रिक अल्सर और उससे होने वाली ब्लीडिंग के कारण शरीर में खून की कमी से भी थकान महसूस होने लगती है।

ये बातें अपनाइए
अध्ययन बताते हैं कि जो मरीज अपने रोग से अच्छी तरह अवगत रहते हैं और अपनी केयर खुद करते हैं वे दर्द भी कम महसूस करते हैं।
दिन की शुरूआत एक या दो घंटे बाद करने से सुबह के वक्त होने वाली जकडऩ से निजात मिल सकती है। ज्यादा देर नींद लेने से रिलैक्स भी महसूस करते हैं।
दोपहर में कुछ देर झपकी और आराम से मरीज खुद को रीचार्ज कर सकता है।
मरीज को अपनी बॉडी क्लॉक को समझना चाहिए। दिन के कुछ खास समय में थकान ज्यादा हावी हो जाती है, उस वक्त आराम करें और सबसे ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करें तब अपने पेंडिंग काम करने चाहिए।
रेस्ट और एक्सरसाइज में संतुलन बनाएं।
किसी खास ज्वाइंट में दर्द ज्यादा परेशान करे तो ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट से स्पिलिंटिंग करवाएं या स्टेराइड का इंजेक्शन लगवाएं।

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