महिलाओं में बढ़ती घुटनों की तकलीफ

बढ़ती उम्र के साथ अक्सर घुटनों में तकलीफ हो जाती है लेकिन आजकल यह समस्या कम उम्र के लोगों में भी हो रही है । इसे…

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बढ़ती उम्र के साथ अक्सर घुटनों में तकलीफ हो जाती है लेकिन आजकल यह समस्या कम उम्र के लोगों में भी हो रही है । इसे नी-आर्थ राइटिस कहते हैं ।

अमरीका के एक सर्वे के मुता बिक भारत में करीब 15 करोड़ लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं जिनमें पुरुषों के मुकाबले महि लाओं की संख्या अधिक है क्योंकि ज्यादातर महिलाओं में विटा मिन-डी की कमी पायी जाती है ।

ये हैं कारण : मोटापा (२५ से अधिक बीएमआई वाले लोग), आनु वांशिकता, अत्यधिक सीढिय़ां चढऩा, सही तरह के जूते-चप्प लों का प्रयोग न करना, जोड़ों में फ्रेक्चर, कैल्शि यम, विटा मिन-डी व प्रोटीन की कमी आदि ।

लक्षण व जांच : घुटनों में अकडऩ, दर्द व आवाज, चाल में टेढ़ापन, सीढिय़ां चढऩे-उतरने में दिक्कत आदि प्रमुख लक्षण हैं । एक्स-रे से इसकी पहचान हो जाती है ।

उपचार : प्रारंभिक स्थिति में फिजियोथैरेपिस्ट की मदद से कुछ व्यायाम करके व डॉक्टर की सलाह से कुछ दवाएं लेकर इसे काबू किया जा सकता है। लेकिन समस्या गंभीर होने पर घुटनों में कार्टिलेज घिसने से टेढ़ापन आने लगता है । ऐसे में विशेषज्ञ घुटने के प्रत्यारो पण की सलाह देते हैं ।

बचाव के तरीके : मोटापा दूर करने के लिए रोजाना व्यायाम करें व 3-4 किलोमी टर टहलें । भारी शरीर वाले जॉगिंग से बचें वर्ना कार्टि लेज टूटने की आशंका रहती है । १५ मिनट तक एक ही अवस्था में खड़े न रहें, थोड़ी देर के लिए कोई अन्य शारी रिक गति विधि करें या बैठ जाएं ।

चलने-फिरने के लिए स्पोट्र्स शूज का प्रयोग करें । विटा मिन-डी की कमी दूर करने के लिए पर्याप्त धूप लें । कैल्शि यम व प्रो टीन के लिए दूध व दूध से बनी चीजें, अंकु रित अनाज, सोयाबीन, फल व हरी सब्जियां आदि लें । जंक फूड व अधिक तले-भुने पदार्थों से परहेज करें ।

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