दिमाग में घब्बा बनने पर बढ़ जाता है अटैक का खतरा

मल्टीपल स्केलेरोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसका कारण नहीं पता है पर इसके मरीजों की संख्या में लगातार तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।

<p>दिमाग में घब्बा बनने पर बढ़ जाता है अटैक का खतरा</p>
मल्टीपल स्केलेरोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसका कारण नहीं पता है पर इसके मरीजों की संख्या में लगातार तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस रोग के होने पर व्यक्ति को अचानक से अटैक आने लगता है जिसे चिकित्सीय भाषा में मल्टीपल स्केलेरोसिस या व्हाइट मैटर डिजीज कहते हैं।
इसमें दिमाग के लेटरल वेंट्रिकल्स के पास (जहां सेरिब्रो स्पाइनल फ्लूइड जमा होता है) वहां धब्बा बन जाता है जिससे अटैक के मामले सामने आते हैं। दिमाग के उस हिस्से में धब्बा बनने से उस हिस्से की सेल्स डैमेज होती हैं जिससे आंख की नस और रीढ़ की हड्डी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसमें आंखों की रोशनी जाने के साथ हाथों-पैरों की ताकत खत्म हो जाती है।
बार-बार अटैक भी आता
दिमाग में धब्बा बनने पर बार-बार अटैक भी आता है। अटैक आने पर मरीज अचानक बुरी तरह बेसुध हो जाता है। ऐसी स्थिति में रोगी को जल्द ही नजदीकी अस्पताल पहुंचाएं क्योंकि इसमें हुई देरी से रोगी की स्थिति और बिगड़ सकती है।
यूरिन पर कंट्रोल
मल्टीपल स्केलेरोसिस अटैक में व्यक्ति का यूरिन पर नियंत्रण की क्षमता खत्म हो सकती है। दिमाग की सतह पर धब्बा बनने की वजह से ब्लैडर से दिमाग को जाने वाला सिग्नल बंद हो जाता है जिससे ये परेशानी होती है। ऐसी स्थिति में बेड पर यूरिन करने की समस्या होती है। साथ ही रोगी को इसका अहसास नहीं होता है।
इन जांचों से पता करते हैं समस्या
झटके या मल्टीपल स्केलेरोसिस की तकलीफ या लक्षण आने पर ब्रेन और स्पाइन की स्थिति जानने के लिए कंट्रास्ट एमआरआई जांच कराते हैं। इसमें इवोक्ड पोटेंशियल तकनीक पर जांच होती है जिसमें आंखों की नसों, ब्रेन स्टेम और सुनने वाली नसों की जांच होती है। दूसरी नसों की स्थिति जानने के लिए सोमेटो सेंसरी टैस्ट भी कराते हैं। सेरीब्रो स्पाइनल फ्लूइड की ओलिगो क्लोनल बैंड जांच कराते हैं। इसकी जांच रिपोर्ट पॉजीटिव है तो मल्टीपल स्केलेरोसिस की पुष्टि होती है।
असहनीय दर्द होता
मल्टीपल स्केलेरोसिस की तकलीफ शुरू होने पर चेहरे, पेट, व सीने की नसों में बहुत अधिक दर्द होता है। इससे राहत के लिए पेन किलर देते हैं। कुछ मामलों में रोगी को त्वचा पर अधिक गरम, जलन और चुभन भी महसूस होती है।
कारण
बीमारी के कारण को लेकर रिसर्च जारी है। विशषज्ञों के मुताबिक इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी इसका कारण हो सकता है पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है। सवाई मानसिंह अस्पताल में रोजाना एक या दो इस रोग से पीडि़त मरीज पहुंच रहे हैं।
ऐसे करते हैं इलाज
मल्टीपल स्केलेरोसिस की पुष्टि के बाद रोगी का इलाज स्टेरॉयड इंजेक्शन से होता है। प्राइमरी स्टेज में करीब पांच दिन तक ये प्रक्रिया चलती है जिससे रोगी की रिकवरी संभव है। अटैक बार-बार आने पर उसे दवाओं की मदद से रोकने की कोशिश की जाती है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.