कभी बंद होने के कगार पर थी Royal Enfield, इस शख्स ने खास तकनीक का इस्तेमाल कर बनाया भारत की शान

आज के समय में भले ही रॉयल एनफील्ड बड़ा ब्रांड हो, बेशक हर जगह पर रॉयल एनफील्ड चलती हुई नजर आ जाए, लेकिन एक समय था जब ये कंपनी बिल्कुल बंद होने के कगार पर थी।

<p>कभी बंद होने के कागार पर थी ये कंपनी, आज हर भारतीय के दिलों पर करती है राज</p>

आज के समय में अगर भारत की सड़कों पर आप देखेंगे तो हर तीसरी-चौथी बाइक रॉयल एनफील्ड की ही नजर आएगी। लोगों में रॉयल एनफील्ड की बाइक्स के लिए दीवानगी सी है, भारत के हर शहर में इसको चलाने वाले मिल जाएंगे। आज रॉयल एनफील्ड भारतीय लोगों के दिलों पर राज करती है और ये कंपनी एक ग्लोबल ब्रांड बन चुकी है। रॉयल एनफील्ड के आगे बढ़ने के पीछे एक शख्स का हाथ है, जिसने इस कंपनी की किस्मत को ही बदल दिया। आज सब जानते हैं कि इस कंपनी ने कितनी ज्यादा तरक्की की है।

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यहां जानते हैं रॉयल एनफील्ड का इतिहास…
भारत में रॉयल एन्फील्ड की शुरुआत एनफील्ड इंडिया के नाम से हुई थी। एनफील्ड इंडिया ने 1955 में भारत में बाइक्स बेचना शुरू किया था, शुरुआत में भारतीय सेना के लिए बाइक बनाई जाती थी। 1971 में इसकी मूल कंपनी ने ब्रिटेन में बाइक्स का प्रोडक्श बंद किया, लेकिन भारत में बुलेट का प्रोडक्शन होता रहा। बुलेट की बिक्री में कमी आने लगी और 1994 में आयशर ग्रुप ने एनफील्ड को खरीद लिया और इसका नाम बदलकर रॉयल एनफील्ड कर दिया।

ऐसे हुई नई शुरुआत
विक्रम लाल आयशर मोटर्स के सीईओ थे, जिनके बेटे सिद्धार्थ लाल ने 1994 में इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन की। 2004 में सिद्धार्थ लाल आयशर मोटर्स के सीईओ और एमडी बने। सिद्धार्थ ने आयशर ग्रुप के 15 में से 13 व्यापारों को बंद किया। सिर्फ ट्रक और बाइक का कारोबार ही जारी रखा। लगभग 10 सालों बाद कंपनी को 702 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ, जिसमें 80 प्रतिशत से ज्यादा मुनापा रॉयल एनफील्ड से हुआ था।

2005 तक प्रतिवर्ष रॉयल एनफील्ड की 25 हजार बिकती थी। सिद्धार्थ ने खुद बाइक को चलाया और देखा कि इस व्यापार में कैसे-कैसे बदलाव किए जा सकते हैं। 2010 में रॉयल एनफील्ड की 50 हजार यूनिट्स बिकीं। पहले बाइक्स 3 अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर बनती थीं, लेकिन बाद में प्लेटफॉर्म भी एक ही कर दिया गया। शुरुआत में सिंगल प्लेटफॉर्म पर बनी क्लासिक लॉन्च की गई, जिसको लोगों ने खूब पसंद किया। 2014 में रॉयल एनफील्ड की 5.89 लाख से ज्यादा यूनिट्स बिकीं और 2017-18 में 8.20 यूनिट्स बिकीं। जो कंपनी कभी डूबने के कगार पर थी, आज वही कंपनी सिद्धार्थ लाल की बदौलत आसमान की बुलंदिया छू रही है।

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