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FIM वर्ल्ड कप चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी बेंगलुरु की ऐश्वर्या पिस्से

FIM World Cup चैंपियनशिप जीतने वाली पहली महिला बनी ऐश्वर्या
इस प्रतियोगिता के समापन पर दूसरे स्थान पर रहीं ऐश्वर्या
पहले भी ले चुकी हैं चैंपियनशिप में भाग

नई दिल्लीAug 14, 2019 / 10:42 am

Vineet Singh

नई दिल्ली: बेंगलुरु की 23 साल की ऐश्वर्या पिस्से ने रविवार को ( वैरपालोटा ) हंगरी में हुई FIM World Cup चैंपियनशिप के फाइनल राउंड को जीतकर इतिहास रच दिया है। यह पहला मौक़ा है जब किसी भारतीय महिला ने ये खिताब अपने नाम किया है। इस खिताब को जीतकर ऐश्वर्या मोटरस्पोर्ट में विश्व खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं हैं। चार राउंड की चैम्पियनशिप के के समापन पर ऐश्वर्या एफआईएम जूनियर वर्ग में दूसरे स्थान पर रही।
टीवीएस रेसिंग, सिडविन, माउंटेन ड्यू, स्कॉट मोटरस्पोर्ट्स इंडिया, के एंड एन, कल्ट स्पोर्ट और बिग रॉक डर्ट पार्क की तरफ से स्पॉन्सर्ड इस प्रोग्राम में ऐश्वर्या, ने कहा: ” यह ओवरवेल्मिंग था। मेर पास शब्द नहीं है। पिछले साल जो हुआ उसके बाद यह मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय सत्र है, जब मैं स्पेन बाजा में दुर्घटना का शिकार हो गई थी और मेरे करियर के लिए खतरा बन गया था, चैंपियनशिप जीतने के लिए और बाहर निकलने के लिए, ये एक अच्छी फीलिंग थी।
यह मेरे जीवन का एक कठिन दौर था, लेकिन मैंने खुद पर विश्वास किया और बाइक पर वापस जाने के फैसले पर टिकी रही, ये मैंने लगभग छह महीने बाद किया। इसलिए, विश्व कप जीतना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है और मैं इस एक्सपीरियंस से मैं अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाउंगी। मुझे यह भी उम्मीद है कि मुझे और ज्यादा स्पॉन्सर्स मिलेंगे जिससे मैं दुनिया की सबसे कठिन क्रॉस-कंट्री रेस में भाग ले पाउंगी।
FIM World Cup
अपने हंगेरियन बाजा परफॉर्मेंस के बारे में बात करते हुए ऐश्वर्या ने कहा कि बिना किसी डाउट के हंगेरियन बाजा मेरी ज़िंदगी की सबसे बेहतरीन रेस थी जिसे मैं जीत नहीं पाई थी। वो बेहद ही मुश्किल रेस थी। इलाके की प्रकृति को देखते हुए, यह सिर्फ स्पेस से ज्यादा पेशेंस का खेल था। मैं एक छोटी बाइक (250cc) चला रही थी, क्योंकि 450cc की बाइक अन्य लड़कियों की थी। इसलिए, मेरे और राइडर के बीच हमेशा 20-25 मिनट का अंतर था।
“इसके अलावा, मुझे गलत तरीके से जल्दी चेक-इन के लिए एक पेनालिटी दी गई, जिसमें मेरी गलती नहीं थी। इन सभी वजहों से मेरा टाइम बढ़ गया। इस चीज़ का सकारात्मक पक्ष ये था कि मैं खुश थी क्योंकि मैं मेरे सामने और अन्य राइडर्स के बीच के गैप को खत्म कर रही थी। मैं रीता (विएरा) के पास सात मिनट के अंदर पहुंच गई थी और इससे मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ गया। हालांकि, मेरा दिमाग इस बात पर था की मई इस रेस को खत्म करूँ और मैंने उसपर फोकस किया।

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