‘नूवीं हवेली में पौढ़े गवरजा, खस-खस का पंखा’

चांदमल ढढ्ढा की गणगौर का दो दिवसीय पूजन उत्सव शुरू

<p>‘नूवीं हवेली में पौढ़े गवरजा, खस-खस का पंखा’</p>

बीकानेर. गणगौर पूजन उत्सव में गुरुवार से चांदमल ढढ्ढा की रियासतकालीन गणगौर का दो दिवसीय पूजन उत्सव प्रारम्भ हुआ। कोरोना महामारी के कारण इस बार ढढ्ढा चौक प्रांगण में गणगौर प्रतिमा को विराजित नहीं किया गया है व मेला नहीं भरा है। पूजन उत्सव के पहले दिन महिलाओं ने गणगौर को पानी पिलाने और विविध पकवानों का भोग अर्पित करने की परम्परा का निर्वहन किया। आयोजन से जुड़े यशवंत कोठारी के अनुसार गणगौरी तीज पर पूजन उत्सव के पहले दिन अलसुबह पहले ढोल पूजन किया गया। गवरजा के ढोकला और फलों का प्रसाद अर्पित किया गया। काजल और इत्र लगाकर पुष्प अर्पित किए गए। सुनीता कोठारी, शीलू कोठारी, सौम्या डागा, भव्या कोठारी ने गणगौर प्रतिमा को पानी पिलाने और भोग अर्पित करने की रस्म निभाई।


चांदमल ढढ्ढा के पैतृक निवास में ही इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए गणगौर प्रतिमा को विराजित किया गया। बालिकाओं व महिलाओं ने गणगौर प्रतिमा के दर्शन-पूजन किया। यशवंत कोठारी के अनुसार कोरोना गाईडलाइन की पालना के तहत इस बार सार्वजनिक रूप से गीत और नृत्य का आयोजन नहीं रखा गया है। घर में सैनेटाईजर और मास्क की व्यवस्था की गई है। दर्शनों के लिए पहुंच रही महिलाओं के लिए भी मास्क अनिवार्य किया गया है। शुक्रवार को भी गणगौर प्रतिमा को पानी पिलाने और भोग अर्पित करने की रस्म का निर्वहन होगा।

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