बीकानेर

हर्ष-व्यास समाज का डोलची पानी का खेल

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Published: March 22, 2024 11:14:56 am
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हर्ष-व्यास समाज का डोलची पानी का खेल बीकानेर के डोलची खेल के दौरान एक खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी की पीठ पर डोलची में पानी भर कर पानी का वार करता है।पानी के वार से सटाक की आवाज निकलती है, जो माहौल को रोमांच से भर देती है। सैकड़ो पुरुष अपने-अपने जोड़े बनाकर डोलची का वार करते है। डोलची खेल के दौरान पानी का वार कष्टदायक होता है। डोलची खेल में शामिल खिलाड़ी पानी के वार को भी हंसते-हंसते अपनी पीठ पर सहन करते है। आपसी प्रेम और संबंधों की घनिष्ठता से सराबोर इस डोलची खेल में प्रेम भरे पानी की बैछार से भीगने और होली की मस्ती, अनूठापन देखते ही बनता है। पीठ पर वार के बाद भी दोनों खिलाड़ी आपस में गले मिलकर सुखमय और मंगलमय जीवन की शुभकामनाएं देते है। फोटो नौशाद अली

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बीकानेर. रियासतकालीन परंपरा के तहत गुरुवार को हर्षों के चौक में पुष्करणा ब्राह्मण समाज की हर्ष और व्यास जाति के पुरुषों में डोलची खेल का आयोजन हुआ। हर्षों के चौक में हुए पानी खेल डोलची में दोनों जातियों के बच्चों से बुजुर्गों ने एक-दूसरे की पीठ पर डोलची में पानी भरकर वार किया। डोलची खेलार इस पानी की मार को भी हंसते-हंसते सहते रहे। करीब डेढ़ घंटे तक चले इस खेल में पीठ पर पानी की मार से निकलने वाली सटाक की आवाज से पूरा माहौल रोमांचित रहा। प्रेम और घनिष्ठ संबंधों के प्रतीक रूप में हुए इस डोलची खेल में हर्ष और व्यास जाति के साथ समाज की विभिन्न जातियों के लोग भी शामिल हुए। फोटो नौशाद अली

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डोलची खेल के लिए लोहे की बड़ी कुंडियों में पानी को एकत्र किया गया। इस पानी से डोलची खेल का आयोजन हुआ। हवा में गुलाल उछालकर खेल समाप्ति की घोषणा की गई। खेल के बाद दोनों जातियों के लोगों ने एक दूसरे के गले मिलकर होली की शुभकामनाएं दीं। डोलची खेल के दौरान आयोजन स्थल पर मौजूद घरों की छतों पर बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रही। फोटो नौशाद अली

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हर्ष-व्यास समाज का डोलची पानी का खेल बीकानेर के डोलची खेल के दौरान एक खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी की पीठ पर डोलची में पानी भर कर पानी का वार करता है।पानी के वार से सटाक की आवाज निकलती है, जो माहौल को रोमांच से भर देती है। सैकड़ो पुरुष अपने-अपने जोड़े बनाकर डोलची का वार करते है। डोलची खेल के दौरान पानी का वार कष्टदायक होता है। डोलची खेल में शामिल खिलाड़ी पानी के वार को भी हंसते-हंसते अपनी पीठ पर सहन करते है। आपसी प्रेम और संबंधों की घनिष्ठता से सराबोर इस डोलची खेल में प्रेम भरे पानी की बैछार से भीगने और होली की मस्ती, अनूठापन देखते ही बनता है। पीठ पर वार के बाद भी दोनों खिलाड़ी आपस में गले मिलकर सुखमय और मंगलमय जीवन की शुभकामनाएं देते है। फोटो नौशाद अली

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