बिजनौर। यूपी में हो रहे पंचायत चुनाव के चलते वोटरों को शराब बांटने का काम भी तेजी से चल रहा है। यही कारण है कि बिजनौर जिले में ज्यादातर देसी शराब के ठेकों का स्टॉक खत्म हो चुका है। आलम यह है कि महीने भर का स्टॉक महज कुछ दिनों में ही खत्म होने से शराब की दुकानों पर ताले लटके हुए हैं। दरअसल, जनपद में देसी शराब की कुल 195 की दुकाने हैं। आबकारी विभाग के मुताबिक इन सभी दुकानों का 1 महीने का कोटा 9 लाख लीटर शराब का है। लेकिन अप्रैल माह में पंचायत चुनाव के चलते शराब की डिमांड में तेजी देखने को मिली है। यही कारण है कि जिन देसी शराब के ठेकों का टारगेट पूरा नहीं हो रहा था, उन पर भी इस समय शराब का एक पव्वा तक नहीं बचा है। अधिकांश दुकानें पूरी तरह से खाली हो गई हैं।
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मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जनपद की करीब 100 दुकानों पर देसी शराब का स्टॉक पूरी तरह खत्म हो चुका है। वहीं कई दुकानों पर कुछ ही पेटी बची हुई हैं। बताया जा रहा है कि कोतवाली देहात कस्बे में स्थित देसी शराब की दुकानों पर तीन दिन से ताला लगा हुआ है। वहीं महेश्वरी जट्ट की भी दुकान पर शराब नहीं मिली रही है। इसके अलावा रामपुर, फुलसंदा, गुनिया पुर आदि आसपास के क्षेत्रों में स्थित किसी भी देसी शराब की दुकान पर स्टॉक नहीं है। जिससे यही अनुमान लगाया जा रहा है कि पंचायत चुनाव के चलते उम्मीदवारों ने वोटरों को पिलाने के लिए सभी ठेकों के स्टॉक को खरीद लिया है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट की मानें तो जनपद में मौजूद देसी शराब के चार गोदामों पर भी स्टॉक खत्म हो चुका है। 15 दिन में सात लाख लीटर देसी शराब गटक गए लोग आबकारी विभाग के मुताबिक देसी शराब के ठेकों पर महज 15 दिन में लोग 7 लाख लीटर शराब लेकर गटक गए हैं। वहीं जानकारों का कहना है कि इसके पीछे कारण पंचायत चुनाव है। वोटरों को लुभाने के लिए उम्मीदवारों ने जमकर शराब पिलाई है। वहीं अनुमान लगाया जा रहा है कि जनपदवासियों द्वारा गटकी गई 7 लाख लीटर देसी शराब की कीमत 28 करोड़ रुपये बैठती है। जिसे सिर्फ 15 दिन में ही पी लिया गया।
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