अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पत्नी मेलानिया कोरोना पॉजिटिव, घर में रहेंगे क्वारंटीन
यह दिल दहलाने वाला वाक्या ओडिशा के गंजाम जिले से सामने आया है। राज्य के हिसाब से देखे तो गंजाम में कोरोना संक्रमण की स्थिति बेहद गंभीर है। इसी बढ़ते संक्रमण की चपेट में महंत साहू के चारों बेटों के परिवार भी आ गए।
Gandhi Jayanti 2020: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को दी गई थी एएमयू छात्र संघ की आजीवन सदस्यता
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महंत साहू के चारों बेटे अपने परिवार के साथ गंजाम जिले के बेगूनिआपाड़ा (Beguniapada) ब्लॉक स्थित अंगारगांव (Angargaon) में रहते थे। इनमें सबसे बड़ा भाई 60 वर्षीय धाबालेश्वर (Dhabaleswar) और कृष्ण चंद्र साहू (42) दोनों ही अलग-अलग किराने की दुकानें चलाते थे। 48 वर्षीय मांगाराज (Mangaraj) की दवा की दुकान थी। वहीं बासुदेव (50) के पास दो बसे व एक ट्रैक्टर था। इस तरह चारों भाई अपना-अपना काम कर परिवार का पेट पाल रहे थे। सुकून का जीवन जी रहे थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। पिछले तीन महीने में चारों भाई एक-एक करके कोरोना संक्रमण की वजह से इस दुनिया को छोड़कर चले गए। इनका एक भाई भिकारी पहले ही लंबी बीमारी की वजह से दो साल पहले जान गंवा चुका था।
ट्रंप के कोरोना होते ही अमरीकी वायदा बाजार धड़ाम, शेयर बाजार भी हो सकता क्रैश
अचानक पूरा परिवार तबाह हो गया है इस बात का परिजन विश्वास भी नहीं कर पा रहे हैं। सभी बेसुध हैं। परिवार के सदस्यों ने मीडिया को बताया कि जुलाई माह में कृष्णा चंद्र सबसे पहले कोविड—19 की चपेट में आया था। उसे भुवनेश्वर के कोविड स्पेशल अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसने दम तोड़ दिया। इसके दो दिन बाद ब्रह्मपुर के महाराजा कृष्णा चंद्र गजपति मेडिकल कॉलेज, अस्पताल (MKCG) में मांगाराज की मौत हो गई। जान जाने का सिलसिला यहीं नहीं रुका। इसके दो दिन बाद फिर कोरोना के कारण बासुदेव की जान चली गई।
Pakistan: पीएम इमरान का आर्मी पर बड़ा हमला, कहा- मुझसे पूछे बिना कोई सेना प्रमुख कारगिल युद्ध करता तो सबक सिखाता
धाबालेश्वर जो कि अपने तीन भाईयों को खोने के गम से अभी उभरा भी ना था उसे भी कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखाई दिए। 27 तारीख को उसे लक्षण महसूस हुए। इसके बाद उसने रैपिड एक्शन टेस्ट करवाया। हालांकि टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आई। फिर भी उसे प्रशासन ने MKCG में भर्ती करवा दिया। यहां 30 सितंबर बुधवार को उसकी मौत हो गई। धाबालेश्वर के पुत्र में स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। जहां उनकी जान चली गई। यह केवल एक नहीं बहुत से परिवारों की कहानी है जो देखते—देखते कोविड—19 के संक्रमण के कारण तबाह हो गए।
ICMR ने कोरोना के इलाज का ढूंढा निकाला नया नुस्खा, जानवरों के ब्लड सीरम से बनाई ये दवा
गौरतलब है कि ओडिशा में संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। 2,26,334 संक्रमित मरीज अब तब मिले चुके हैं। जबकि 928 लोगों की मौत हो चुकी हैं। गंजाम जिले की बात करे तो यहां 20,224 लोग संक्रमण का शिकार हो चुके हैं।