सतंबर में मानसूनी सिस्टमों की झड़ी, खाड़ी में बना तीसरा सिस्टम, 25 को एक और बनने जा रहा, मानसून की विदाई में होगी देरी

– सितम्बर के पूरे महीने जारी रहेंगी मानसूनी गतिविधियां, अक्टूबर में भी पड़ती रह सकती है बौछारें
– सितम्बर के तीसरे सप्ताह में मानी जाती है मानसून की विदाई,मानसून के कोटे में दर्ज नहीं होती 30 सितम्बर के बाद की बारिश
 

<p>सतंबर में मानसूनी सिस्टमों की झड़ी, खाड़ी में बना तीसरा सिस्टम, 25 को एक और बनने जा रहा, मानसून की विदाई में होगी देरी</p>
भोपाल. प्रदेश में मानसून की विदाई सितम्बर के तीसरे सप्ताह से मानी जाती है। लेकिन इस वर्ष तीसरे सप्ताह तक लगातार बौछारों का दौर जारी है। इस मानसून सीजन में सितम्बर के महीने में ही तीन सिस्टम बन चुके हैं वहीं 25 सितम्बर को चौथा सिस्टम बनने जा रहा है। एक के बाद एक सिस्टमों की झड़ी सी लग जाने के चलते मानसून की विदाई में देरी होती दिख रही है।
एक ओर जहां जुलाई का महीना लगभग सूखा निकल गया था, वहीं सितम्बर में मानसून के कमजोर पडऩे के बजाए एक के बाद एक सिस्टम बनते जा रहे हैं। ऐसे में झड़ी अभी चलती रहेगी और मानसून की विदाई में देरी होती दिख रही है। मौसम विभाग 30 सितम्बर के बाद की बारिश को मानसूनी बारिश में दर्ज नहीं करता, लेकिन इस वर्ष पूरे सितम्बर के बाद अक्टूबर तक बौछारें पडऩे के आसार दिखाई दे रहे हैं। राजस्थान से 17 सितम्बर और मप्र से 30 सितम्बर को मानसून की विदाई मानी जाती है। 30 सितम्बर को प्रदेश में कुछ जगहों से मानसून की विदाई शुरू हो जाती है, जबकि 18 अक्टूबर को पूरे प्रदेश से मानसून विदा हो जाता है।
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इस वर्ष मानसून के जल्द आने के बावजूद जुलाई का महीना लगभग सूखा रहा था, अगस्त में अच्छी बारिश के बाद बारिश में कमी आने के बजाए सितम्बर में लगातार गतिविधियां जारी है। यहां तक के मानसून सीजन का पहला डीप डिप्रेशन इसी महीने बना और अब चौथा सिस्टम महीने के आखिर में बनता दिख रहा है। यह बदलाव के स्पष्ट संकेत हैं, वहीं मानसून की विदाई में देरी होने की भी स्थिति स्पष्ट तौर पर दिख रही है।
अजय शुक्ला, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक
यह बात साफ तौर पर दिख रही है कि ग्लोबल वार्मिंग और अन्य कारणों से मानसून का पैटर्न बदलता जा रहा है। अब सितम्बर में बारिश बंद नहीं होती बल्कि अक्टूबर तक जाती है। ऐसे में इस महीने लगातार बनते जा रहे सिस्टम भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं। हमें नए पैटर्न पर नजर रखकर उसके अनुसार निर्णय लेने होंगे।
एसके नायक, मौसम विशेषज्ञ
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