भोपाल मण्डल द्वारा भारतीय रेल में सबसे पहले टायलेट में ऑडियो सिस्टम लगाया गया है। यात्री द्वारा दरवाजा खोलते ही सेंसर युक्त सिस्टम टॉयलेट में साफ-सफाई रखने का अनुरोध करेगा। इन टॉयलेट में आधुनिक नल, शाफ्टी ऑपरेटेड फ्लश वॉल्व लगाए गए हैं। इसके अलावा दुर्गंध को दूर करने के लिए फ्लश वॉल्व के साथ ऑटो जनरेटर सिस्टम लगाया गया हैै, जिससे टॉयलेट में खुशबू बनी रहती है। इसके अलावा दोनों टॉयलेट की बीच में फायर रिटोरडेंट नेट लगाई गई है, जो फायर प्रूफ है।
टॉयलेट फ्लोर को सूखा रखेगी एपॉक्सी फ्लोरिंग
भारतीय रेलवे के उत्कृष्ट परियोजना के रूप में विकसित उत्कृष्ट कोच पूर्णत: ईको फ्रैंडली हैं। इसमें पुराने कोचों में बदलाव कर बेहतर सुविधाओं के साथ नया रूप दिया गया है। उत्कृष्ट कोच से लैस भोपाल एक्सप्रेस के कोचों में पर्यावरण अनुकूल शौचालय बनाए गए हैं साथ ही वातानुकूलित कोचों में स्टेनलस स्टील का सोप डिस्पेंसर लगाया गया है। इन कोचों के टॉयलेट में एपॉक्सी फ्लोरिंग की गई है, जिससे टॉयलेट फ्लोर सूखा बना रहता है।
भारतीय रेलवे के उत्कृष्ट परियोजना के रूप में विकसित उत्कृष्ट कोच पूर्णत: ईको फ्रैंडली हैं। इसमें पुराने कोचों में बदलाव कर बेहतर सुविधाओं के साथ नया रूप दिया गया है। उत्कृष्ट कोच से लैस भोपाल एक्सप्रेस के कोचों में पर्यावरण अनुकूल शौचालय बनाए गए हैं साथ ही वातानुकूलित कोचों में स्टेनलस स्टील का सोप डिस्पेंसर लगाया गया है। इन कोचों के टॉयलेट में एपॉक्सी फ्लोरिंग की गई है, जिससे टॉयलेट फ्लोर सूखा बना रहता है।
कोच के बाहर तिरंगा झंडा व महात्मा गांधी की 150 वीं जंयती का लोगो रेलवे का दावा है कि इस ट्रेन के अन्दर आते ही यात्रियों को अच्छी यात्रा का एहसास होगा। इसके दरवाजे खुलते ही खूबसूरत विनाइल रैपिंग की वजह से दरवाजा और आस पास का हिस्सा काफी सुन्दर दिखेगा। कोचों के अन्दर डिजिटल हेरिटेज फोटोग्राफ है, इस पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करने पर उस फोटोग्राफ से संबंधित जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। इन कोचों में यूनिफाइड पोस्टर भी लगाए गए हैं। प्रत्येक कोच के बाहर की सतह पर दोनों ओर तिरंगा झंडा व महात्मा गांधी की 150 वीं जंयती का लोगो भी लगाया गया है।
डीआरएम ने निरीक्षण कर दिया था उत्कृष्ट कोच में बदलने के निर्देश
यात्रियों की लगातार शिकायतों के बाद 30 अगस्त को डीआरएम उदय बोरवरणकर ने खुद इसके रैक का निरीक्षण किया था, इस दौरान सामने आया था कि पिछले साल ठंड के मौसम में 22181/22182 गोंडवाना एक्सप्रेस से भोपाल एक्सप्रेस का रैक बदल दिया गया था। जिसके बाद डीआरएम ने भोपाल एक्सप्रेस में उत्कृष्ट रैक लगाने के निर्देश दिए थे। बता दें, भोपाल एक्सप्रेस देश की पहली ऐसी ट्रेन जिसे वर्ष 2003 में पहला आईएसओ-9002 सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ था। यह ट्रेन 23 मई 1999 से संचालित हो रही है। यह ट्रेन अपनी टाइम पंक्चुएलिटी, स्पीड और मेंटेनेंस के लिए जानी जाती थी।
यात्रियों की लगातार शिकायतों के बाद 30 अगस्त को डीआरएम उदय बोरवरणकर ने खुद इसके रैक का निरीक्षण किया था, इस दौरान सामने आया था कि पिछले साल ठंड के मौसम में 22181/22182 गोंडवाना एक्सप्रेस से भोपाल एक्सप्रेस का रैक बदल दिया गया था। जिसके बाद डीआरएम ने भोपाल एक्सप्रेस में उत्कृष्ट रैक लगाने के निर्देश दिए थे। बता दें, भोपाल एक्सप्रेस देश की पहली ऐसी ट्रेन जिसे वर्ष 2003 में पहला आईएसओ-9002 सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ था। यह ट्रेन 23 मई 1999 से संचालित हो रही है। यह ट्रेन अपनी टाइम पंक्चुएलिटी, स्पीड और मेंटेनेंस के लिए जानी जाती थी।