बदहाल स्कूल: छत टूटी, दीवारों पर सीलन, कक्षा में विद्यार्थियों के सिर पर टपक रहा पानी

माध्यमिक एवं उच्च कक्षाओं के संचालन में परेशानी, तीन दिन बाद खुलना है प्राथमिक कक्षाएं भी

<p>बदहाल स्कूल: छत टूटी, दीवारों पर सीलन, कक्षा में विद्यार्थियों के सिर पर टपक रहा पानी</p>
भोपाल. शहर में सरकारी स्कूलों की हालत की पोल पिछले कुछ दिनों से जारी बरसात ने खोलकर रख दी है। कई स्कूलों में छत से पानी सीधे विद्यार्थियों के सिर पर टपक रहा है तो कई जगहों पर पूरा परिसर ही तालाब बना हुआ है, ऐसे में विद्यार्थी स्कूल कैसे पहुंचे और पढ़ाई करें भी तो कैसे? गौरतलब है कि प्रतिवर्ष स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी बरसात में खराब होने वाले कमरों की जानकारी मंगाकर मरम्मत का बजट आवंटित करते थे, लेकिन इस वर्ष स्कूलों से यह जानकारी नहीं मंगाई गई।
18 महीनों से बंद प्राथमिक स्कूलों की कक्षाएं
सबसे ज्यादा समस्या 18 महीनों से बंद पड़े प्राथमिक स्कूलों की कक्षाओं में आने वाली है। इस दौरान कई स्क्ूलों के कई कमरे बेहद खराब स्थिति में पहुंच चुके हैं। पिछले डेढ़ सालों में यहां मरम्मत और पुताई तो दूर ठीक से सफाई भी नहीं हुई है। ऐसे में इन कमरों में सुधार कार्य किए बिना बच्चों को बैठाना कई समस्याओं को जन्म दे सकता है।
बाल आयोग के सदस्य ने किया निरीक्षण
बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने गुरुवार को कई स्कूलों का आकस्मिक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने चार अलग-अलग स्कूलों के जाकर विद्यार्थियों और पीटीएम में आए अभिभावकों से बातचीत की। चौहान ने बरखेड़ा पठानी की व्यवस्थाओं पर संतुष्टि जताते हुए वहीं बागसेवनिया में लापरवाही पर फटकार लगाई।
स्मार्ट क्लास पर पानी ने फेरा पानी: नवीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मिसरोद में एक स्मार्ट क्लास में छत से पानी टपकता मिला। शिक्षकों ने इस बैंच पर विद्यार्थियों को नहीं बैठाया था, लेकिन पानी स्मार्ट बोर्ड, स्पीकर और सीसीटीवी कैमरों को नुकसान पहुंचा सकता था। चौहान ने इस पर आपत्ति लेते हुए छत की मरम्मत कराने के निर्देश दिए।

तालाब बना परिसर, कीचड़-पानी में जा रहे विद्यार्थी
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बावडिय़ा कला में स्कूल परिसर में ही पानी भर गया है। विद्यार्थियों के लिए स्कूल के मुख्य द्वार से लेकर कक्षाओं तक जाना मुश्किल हो रहा है। कई जगहों पर छोटे बच्चों के तो घुटने तक डूब जा रहे हैं, ऐसे में विद्यार्थी कीचड़और पानी के बीच से होकर स्कूल जाने को मजबूर हैं। स्कूलों के निरीक्षण में यह सामने आया कि विद्यार्थी तो बड़ी संख्या में स्कूल आ रहे हैं, लेकिन कुछ स्कूलों में कक्षाओं में पानी टपक रहा है। ऐसी कक्षाओं की मरम्मत के निर्देश दिए गए हैं।
ब्रजेश चौहान, सदस्य, बाल अधिकार संरक्षण आयोग
सभी स्कूलों को रखरखाव एवं अन्य मदों में बजट जारी किया जाता है। कक्षाओं में यदि पानी टपक रहा है तो प्राचार्य, प्रधान अध्यापक इसकी मरम्मत कराएं। बड़ी समस्या है तो इसके लिए हमें सूचित करें, सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएंगी।
नितिन सक्सेना, जिला शिक्षा अधिकारी
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