सिंधिया राजघराने ने ऐसे रखा था राजनीति में कदम: 27 बार सांसद दे चुका है ये राजपरिवार

रॉयल फैमली सिंधिया से जुड़ी वो हर बात जो आप जानना चाहते हैं… royal family scindia

भोपाल। देश में कुछ ही ऐसे परिवार हैं जिनका राजनीति में दखल आजादी से लेकर अब तक बना हुआ है। ऐसे ही एक राजवंश royal family scindia मध्यप्रदेश में भी है जो पहले तो कभी राजनीति में आना नहीं चाहता था, लेकिन जब से उसने राजनीति में कदम रखा तब से आज तक इस परिवार का राजनीतिक दखल पूरे दमखम से कायम है।

एक ऐसा राजघराना royal family scindia जिसने एक दो बार नहीं बल्कि 27 बार सांसद दे चुका है। जी हां, ये यह सिंधिया राजपरिवार ही है ,जिसने 1957 से सियासी मैदान में कदम रखा और 2014 तक लोकसभा चुनाव में 27 बार सांसद का चुनाव जीता। ग्वालियर का सिंधिया royal family scindia राजपरिवार एक ऐसा राजघराना है जिसका जलवा आजादी के 70 साल बाद भी ग्वालियर के लोगों के दिल में बरकार है।

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राजनीति का गढ़ रहा है जयविलास महल
दरअसल ग्वालियर का जयविलास महल आजादी के बाद रजवाड़ों royal family scindia की राजनीति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। देश के मध्य में स्थित अलग-अलग रियासतों को जोड़कर जब मध्य भारत नाम का एक राज्य बनाया गया तो, ग्वालियर परिवार के मुखिया जिवाजीराव इसकी धुरी थे।

वैसे तो जिवाजीराव की राजनीति में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन ग्वालियर क्षेत्र में सिंधिया परिवार royal family scindia के प्रभाव के कारण कांग्रेस चाहती थी कि जिवाजीराव कांग्रेस में शामिल हो जाएं, जबकि कहा जाता है कि उनका झुकाव दूसरे दल की ओर था। खैर इन सबके जिवाजी तो राजनीति से दूर रहे, लेकिन उनकी पत्नी राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने काफी मानोमनव्वल के बाद कांग्रेस के टिकट पर 1957 में गुना से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता। यहीं से सिंधिया परिवार की भारतीय राजनीति में एंट्री हुई।

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विजयाराजे यानि राजमाता सिंधिया : कांग्रेस से बीजेपी तक का सफर…
राजमाता विजयाराजे को कांग्रेस ने 1962 के आम चुनावों में ग्वालियर royal family scindia से उतारा था। 1957 में गुना से जीत के बाद यहां एक बार फिर से विजयाराजे ने अपने विरोधियों को चारो खाने चित करते हुए जोरदार जीत हासिल की। हालांकि 1967 में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में उन्होंने एक स्वतंत्र प्रत्याशी royal family scindia के तौर पर लड़ा और जीत दर्ज की। मध्य प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ तब आया जब विजयाराजे ने 1989 के आम चुनाव में बीजेपी के टिकट पर गुना लोकसभा से चुनाव लड़ा और एक लाख से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की। इसके बाद वो आजीवन बीजेपी में हीं रहीं।

मां के उलट माधवराव का जनसंघ से कांग्रेस तक का सफर…
कहा जाता है कि राजमाता विजयाराजे के कहने पर ही उनके बेटे माधवराव सिंधिया royal family scindia ने भी राजनीति में आए। अपने राजनैतिक कॅरियर में माधवराव ने 1971 में जनसंघ के टिकट पर गुना से लोकसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के प्रत्याशी को डेढ़ लाख वोटों के अंतर से हरा दिया। इसके बाद उन्होंने 1977 के आम चुनाव में ग्वालियर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और यहां से भी ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

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वहीं 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई, जनवरी 1980 में देश में आम चुनाव का एलान royal family scindia हुआ। इस समय जनता पार्टी ने इंदिरा गांधी के खिलाफ राजमाता विजयाराजे को रायबरेली से चुनाव लड़वाने का एलान किया। इसी वक्त माधवराव royal family scindia के संजय गांधी के साथ रिश्ते बेहतर हो रहे थे, तो उन्होंने अपनी मां से अपना फैसला बदलने के लिए कहा, लेकिन विजयाराजे नहीं मानी और यहीं से मां बेटे के रिश्ते में दरार आ गई। 1980 तक माधवराव ने पूरी तरह से कांग्रेस का दामन थाम लिया और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर उन्होंने जीत दर्ज की, लेकिन दूसरी और विजयाराजे इंदिरा गांधी से चुनाव हार गईं।

BJP : राजमाता बनी उपाध्यक्ष…
यहीं वो समय था जब देश की राजनीति royal family scindia में एक और नया मोड़ आया और 1980 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गठन हुआ। विजयाराजे इस नई-नवेली पार्टी की उपाध्यक्ष बनाई गईं।

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मां के नक्शे कदम पर वसुंधरा राजे…
वहीं दूसरी ओर माधवराव royal family scindia ने भले ही अपनी मां से बगावत कर कांग्रेस का दामन थाम लिया हो, लेकिन उनकी बहन वसुंधरा राजे भाजपा के साथ राजनीति में उतरीं। 8 मार्च 1953 को मुम्बई में जन्मी वसुंधरा राजे की शादी धौलपुर के जाट राजघराने में हुई। वसुंधरा राजे royal family scindia ने अपना पहला चुनाव 1984 में मध्य प्रदेश के भिंड लोकसभा से लड़ा, लेकिन इस वक्त सारे देश में इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर में हार गईं। इंदिरा की सहानुभुति लहर ने बड़े-बड़े सूरमाओं को भी इस समय डुबा दिया था।

ऐसे में तो वसुंधरा कांग्रेस प्रत्याशी से लगभग 88 हजार वोटों से शिकस्त royal family scindia का सामना करना पड़ा। इसके बादवजूद वह लगतार संगठन के लिए काम करती रहीं और बीजेपी में अपने कद को ऊंचा उठाती रहीं। वसुंधरा राजे बीजेपी में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं और 2003 में बीजेपी की तरफ से राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं। वसुंधरा राजे अभी भी राजनीति में सक्रिय हैं, हालांकि राजस्थान royal family scindia के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के कारण अभी वो विपक्ष में हैं।

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मां के कदमों पर छोटी बेटी यशोधरा राजे भी… scindia in politics
सिंधिया परिवार की एक और अहम सदस्य विजयाराजे की छोटी बेटी यशोधरा राजे royal family scindia ने भी मां के कदमों पर भाजपा ज्वाइन कर ली। वहीं अब यशोधरा राजे की गिनती मप्र बीजेपी के दिग्गज नेताओं में की जाती है। यशोधरा राजे ने मध्य प्रदेश के शिवपुरी से 1998 और 2003 में दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उन्हें मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय royal family scindia जैसी अहम जिम्मेदारी भी दी गई थी।

अचानक हुई ज्योतिरादित्य की एंट्री… jyotiraditya scindia in politics
पिता माधवराव की प्लेन क्रैश में मौत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया royal family scindia ने पिता के कदमों पर आगे बढ़ते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया। दरअसल 30 सितंबर, 2001 को विमान हादसे में ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया की मौत हो गई। फिर ज्योतिरादित्य राजनीति में आए, 2002 लोकसभा में उन्‍हें सर्वप्रथम चुना गया, 2004 में 14वीं लोकसभा में उन्‍हें दोबारा चुना गया।

सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया royal family scindia को 6 अप्रैल, 2008 को पहली बार मनमोहन सरकार में सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री बनाया गया जब मनमोहन सिंह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तो सिंधिया को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। सिंधिया कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बेहद करीबियों में गिने जाते हैं, सिंधिया अक्सर राहुल गांधी के साथ नजर आते हैं।

ज्योतिरादित्य की गिनती मध्य प्रदेश के कद्दावर कांग्रेसी नेताओं royal family scindia में की जाती है। वो 2002 के बाद से कांग्रेस के लिए गुना लोकसभा से लगातार विजयश्री प्राप्त करते हुए 2014 तक जीत दर्ज करते रहे। वहीं 2018 के मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम जोर-शोर से उछाला जाने लगा। हालांकि पार्टी ने कमलनाथ के अनुभव को उनके युवा royal family scindia जोश पर ज्यादा तरजीह दी थी, लेकिन राजनीति के जानकार ज्योतिरादित्य को लंबी रेस का घोड़ा मानते हैं।

ऐसे में अभी बदले समीकरणों में सिंधिया royal family scindia एक बार फिर मजबूत रूप में सामने आए हैं। जहां 2019 में पहली बार लोकसभा चुनाव हारने के बाद वे आरपार की लड़ाई में उतरते दिख रहे हैं।

वहीं सिंधिया परिवार की अगली पीढ़ी भी राजनीति में आने के लिए तैयार है, ज्योतिरादित्य सिंधिया royal family scindia , वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे के बच्चे अपने माता-पिता की राजनीति को नजदीक से देख रहे हैं।

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सिंधिया परिवार: जानिये राजनीति की पूरी कहानी… royal family scindia
: राजमाता ने 2 बार कांग्रेस से, 4 बार भाजपा से, 1 बार जनसंघ और 1 बार निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की। इसके बाद उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने 1971 से चुनाव लड़ा और 1999 तक 9 बार चुनाव जीते।

: माधवराव सिंधिया ने 6 बार कांग्रेस, 1 बार निर्दलीय, 1 बार जनसंघ, 1 बार मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस पार्टी जो उन्होंने खुद बनाई थी, से चुनाव लड़े और जीत हासिल की।

: राजस्थान राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने वाली वसुंधरा राजे सिंधिया, राजमाता royal family scindia विजयाराजे सिंधिया की बेटी हैं। इनकी शादी राजस्थान में हुई जिसके बाद इन्होंने अपना राजनीतिक सफर राजस्थान से शुरू किया। वसुंधरा राजे राजस्थान की झालावाड़ लोकसभा सीट से 4 बार लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुकी हैं।

: माधवराव सिंधिया के निधन के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया royal family scindia ने उपचुनाव लड़कर राजनीति की कमान थामी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2002 में अपनी राजनीति पारी की शुरुआत की और उपचुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद 3 लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की।

Jyotiraditya Scindia's political journey

गुना सीट 2014: यहां तक कीमोदी लहर में भी जीते थे ज्योतिरादित्य सिंधिया… royal family scindia
मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार का गढ़ रहा है। 2019 से पहले तक इस सीट पर सिंधिया राजघराने के सदस्य का ही राज रहा है, ग्वालियर के बाद गुना ही वो लोकसभा सीट है जहां से सिंधिया परिवार चुनाव लड़ना पसंद करता रहा है। ‘ग्वालियर की राजमाता’ royal family scindia विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही इस सीट पर ज्यादातर जीतते आए हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के जयभान सिंह को 120792 वोटों से शिकस्त दी थी। लेकिन 2019 में जरूर उन्हें यहां से पहली बार हार का सामना करना पड़ा।

: यशोधरा राजे सिंधिया (विजयाराजे सिंधिया की सबसे छोटी बेटी) ने 2 बार भाजपा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।


साल दर साल ऐसे बढ़ता गया राजनीति में कद : royal family scindia

विजयाराजे सिंधिया ने कब और कहां से लड़ा चुनाव-
1957-गुना लोकसभा-कांग्रेस
1962-ग्वालियर लोकसभा-कांग्रेस
1967-गुना लोकसभा-निर्दलीय (उपचुनाव)
1971-भिण्ड लोकसभा-जनसंघ
1989-गुना लोकसभा-भाजपा
1991-गुना लोकसभा-भाजपा
1996-गुना लोकसभा-भाजपा
1998-गुना लोकसभा-भाजपा

माधवराव सिंधिया ने कब और कहां से लड़ा चुनाव- royal family scindia
1971-गुना लोकसभा-जनसंघ
1977-गुना लोकसभा-निर्दलीय
1980-गुना लोकसभा-कांग्रेस
1984-ग्वालियर लोकसभा-कांग्रेस
1989-ग्वालियर लोकसभा-कांग्रेस
1991-ग्वालियर लोकसभा-कांग्रेस
1996-ग्वालियर लोकसभा-मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस पार्टी
1998-ग्वालियर लोकसभा-कांग्रेस
1999-गुना लोकसभा-कांग्रेस

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कब और कहां से लड़ा चुनाव- royal family scindia
2002-गुना लोकसभा-कांग्रेस (उपचुनाव)
2004-गुना लोकसभा-कांग्रेस
2009-गुना लोकसभा-कांग्रेस
2014-गुना लोकसभा-कांग्रेस

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ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ी कुछ खास बातें…
ग्वालियर के सिंधिया राजघराने में 1 जनवरी 1971 को पैदा हुए ज्योतिरादित्य royal family scindia कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं। वे कांग्रेस के पूर्व मंत्री दिवंगत माधवराव सिंधिया के पुत्र हैं। देश के धनाढ्‍य व्यक्तियों में से एक हैं। 15वीं लोकसभा के ऊर्जा राज्‍यमंत्री रहे हैं। कांग्रेस के युवा नेताओं की फेहरिस्त में शुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया सियासी माहौल में पले-बढ़े हैं।
स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से MBA…
ज्योतिरादित्य सिंधिया royal family scindia ने दून स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से ऑनर्स और स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से MBA किया है। इसके बाद ज्योतिरादित्य ने अमेरिका में ही 4 साल लिंच, संयुक्त राष्ट्र, न्यूयॉर्क और मार्गेन स्टेनले में काम का अनुभव लिया।
जबकि 12 दिसंबर, 1994 को ज्योतिरादित्य की शादी राजकुमारी प्रियदर्शनी royal family scindia राजे से हुई। ज्योतिरादित्य की पत्नी प्रियदर्शनी का जन्म गुजरात के बड़ौदा, गायकवाड़ राजघराने में हुआ था, ज्योतिरादित्य और प्रियदर्शनी के दो बच्चे महाआर्यमन सिंधिया और अनन्या राजे सिंधिया हैं।
सबसे खूबसूरत राजकुमारियों में से एक…
ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी देश royal family scindia की सबसे खूबसूरत राजकुमारियों में से एक हैं, 2012 में वे 50 सबसे खूबसूरत महिलाओं में शामिल थीं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को खेलों में खासकर क्रिकेट में भी खासा दिलचस्पी है। क्रिकेट के साथ-साथ उन्हें स्विमिंग भी पसंद है। सिंधिया royal family scindia को किताबें पढ़ने और वाइल्ड लाइफ एडवेंचर का भी काफी शौक है।
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