बारिश से सडक़ों पर ध्यान नहीं दिया, अब 300 से अधिक कॉलोनियों के दो लाख लोग कीचड़ की दिक्कत में

भोपाल। शहर की उखड़ी, टूटी, खुदी व खराब सडक़ें बारिश के पानी में कीचड़ में बदल गई। बीते करीब दो दिन से हो रही रिमझित बारिश से 300 से अधिक कॉलोनियों के लोग दिक्कत में आ गए है।

<p>बारिश से सडक़ों पर ध्यान नहीं दिया, अब 300 से अधिक कॉलोनियों के दो लाख लोग कीचड़ की दिक्कत में</p>

भोपाल। शहर की उखड़ी, टूटी, खुदी व खराब सडक़ें बारिश के पानी में कीचड़ में बदल गई। बीते करीब दो दिन से हो रही रिमझित बारिश से 300 से अधिक कॉलोनियों के लोग दिक्कत में आ गए है। इनमें 60 फीसदी कॉलोनियां कोलार में है, बाकी नेहरू नगर, भदभदा क्षेत्र, करोद, बैरागढ़, पुराने शहर, गोविंदपुरा व कटारा हिल्स से जुड़ी हुई कॉलोनियां है। यहां बीते एक साल के दौरान सडक़ खुदाई से लेकर नाली निर्माण के काम हुए हैं। यहां काम करने के बाद सडक़ दुरूस्त नहीं की गई, जिससे अब रिमझिम बारिश में यहां सडक़ से बाहर पड़ी धूल- मिट्टी कीचड़ में बदल गई। कुछ सडक़ों पर तो बड़े गड्ढे पड़ गए। कुछ सडक़ों पर कीचड़ फिसलन की बड़ी वजह बन गया। लोगों को बेहद संभलकर जाना पड़ रहा है। यहां थोड़ी से लापरवाही दुर्घटना का कारण बन रही है।
दो साल से दावों में ही सडक़ सुधार
शहर में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां दो साल से सडक़ें खोदी हुई है। लगातार निर्देश के बावजूद संबंधित ठेका एजेंसी दुरूस्त नहीं कर रही। बारिश के बाद हर बार यहां कीचड़ और इससे लोगों को परेशानी की स्थिति बनती है। कोलार की राजहर्ष कॉलोनी, प्रियंका नगर, ललीता नगर, नम्रता नगर, सनखेड़ी रोड, वंदना नगर से लेकर मिसरोद, बावडिय़ा, गुलमोहर से जुड़ी कॉलोनियां है। शाहपुरा में तो निगमायुक्त बीते दो माह में तीन बार निरीक्षण कर खुदी सडक़ों को दुरूस्त करने का कह चुके, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।
ये हैं जिम्मेदार
सडक़ें दुरूस्त रहे इसके लिए निर्माण एजेंसी की सिविल शाखा जिम्मेदार है। शहर के अंदरूनी गलियों, मोहल्लों की सडक़ों मे कीचड़ की स्थित अधिक है। इसके लिए संबंधित जोन के कार्यपालन यंत्री- डिप्टी सिटी इंजीनियर, सहायक यंत्री सिविल जिम्मेदार है। कोलार में प्रमोद मालवीय के पास यहां का जिम्मा है और यहीं पर सडक़ें सबसे खराब है। इसी तरह खराब स्थिति करोद क्षेत्र जोन 17 में है। यहां नंदकिशोर डेहरिया के पास जिम्मा है।
ये हैं खराब सडक़ों की वजह
सडक़ों की खराब पर इंजीनियर्स ध्यान नहीं दे रहे, इसकी बड़ी वजह इंजीनियर्स मे तालमेल नहीं होना है। यहां पर जोन के उपयंत्री, सहायक यंत्री के साथ ही डिप्टभ् सिटी व कार्यपालन यंत्री तक एक दूसरे का विरोध करते हुए एक दूसरे के खिलाफ रहते हैं। बीते एक साल में निगम में चार मामले इस तरह के आ गए। कोलार में तीन इंजीनियर एक दूसरे का विरोध करते रहे हैं। जोन 17, जोन 16 में भी यही स्थिति रही। निगमायुक्त के पास एक साल में 20 से अधिक शिकायती आवेदन जमा हुए हैं।
कोट्स
सडक़ों को दुरूस्त करने के लिए कहा गया है। लाइन के लिए खुदाई भी जरूरी है, लेकिन तत्काल रेस्टोरेशन का कहा है। खराब सडक़ों को जल्द ही ठीक कराएंगे।
– केवीएस चौधरी, निगमायुक्त
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