कमलनाथ ने कहा- भारी चुनौती से गुजर रहा देश का किसान, लोकतंत्र आज संवादहीनता के वातावरण से सहमा

कमलनाथ ने कहा- आज भारत सम्पूर्ण विश्व में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इसका मूल भारतीय संविधान में निहित है।

<p>कमलनाथ ने कहा- भारी चुनौती से गुजर रहा देश का किसान, लोकतंत्र आज संवादहीनता के वातावरण से सहमा</p>
भोपाल. पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा- 72वें गणतंत्र दिवस की सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। आज से सात दशक पूर्व, 26 जनवरी 1950 को प्रात: 10 बजकर 18 मिनट पर हमारा संविधान लागू हुआ था और भारत देश ने एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में अपनी यात्रा प्रारंभ की थी और तब से निरंतर हम संविधान में निहित मूल्यों पर चलते हुये सतत्‌ आगे बढ़ रहे है।
आज भारत सम्पूर्ण विश्व में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इसका मूल भारतीय संविधान में निहित है। संविधान ने देश को एकता के सूत्र में बांधने, सबको समान अधिकार देने और नागरिकों को व्यक्तिगत एवं धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करने का कार्य किया है। विविधता से परिपूर्ण हमारे देश में डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने संविधान के माध्यम से एक समतावादी समाज की रचना को आधार दिया और सभी नागरिकों को संवैधानिक अधिकार उपलब्ध कराये।
भारत के 72 वें गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराते हुए जब मैं आपको बधाई दे रहा हूं तब देश के किसान भाई एक भारी चुनौती से गुजर रहें है। हमारे देश के लाखों अन्नदाता भाई, जो 70 % भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है, सड़कों पर खुले आसमान के नीचे गत दो माह से उस स्थान पर अपने जीवन यापन के लिए संघर्षरत है जहां से हमारे गणतंत्र की, हमारी संप्रभुता की झांकियां हर साल गुजरती हैं। देश में तीन काले कृषि कानूनों को अलोकतांत्रिक और असंसदीय रूप से संसद में पारित कराकर देश के अन्नदाता किसान भाईयों पर थोपा गया है।
देश के किसान भाईयों के हित में कांग्रेस इन काले कानूनों का कड़ा विरोध करती है और इन्हें वापस लेने के लिए किसान भाईयों के साथ संघर्षरत है। 1965 में देश की कांग्रेस सरकार को नेतृत्व प्रदान कर रहे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने “जय जवान जय किसान” का नारा दिया था और प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी जी ने देश में “हरित क्रांति” को लागू कर किसान भाईयों को आधार, सम्बल और सम्मान प्रदान किया था। यह द्योतक है कि हम किसान भाईयों के सच्चे हितैषी थे, सच्चे हितैषी है और सदा सच्चे हितैषी रहेंगे।
आज भी कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस किसान भाईयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्षरत है। जिस संविधान पर हम सभी को गर्व है, उस संविधान की मूल भावनाओं को आज सड़कों पर कुचला जा रहा है और यह हम सभी के लिए अत्यंत चिंता का विषय है। भारत ने हमेशा से अपनी बहुलतावादी संस्कृति को बल दिया है और सह-अस्तित्व के सिद्धांत को हमने सम्पूर्ण विश्व में स्वीकार कराया है। आज हमारी यही आस्थाएं और संस्कृति चुनौती का सामना कर रहीं हैं। हमने अपने पुरुषार्थ से 72 सालों में जिस लोकतंत्र को परिपक्व किया है वही लोकतंत्र आज संवादहीनता के वातावरण से सहमा हुआ है।
वक्त जरूर बदला है और इस बदलाव से बहुत सी चीजें बदल जाती है लेकिन याद रखिये, इतिहास कभी नहीं बदलता। उन महान नेताओं के योगदान को कभी भी विस्मरण नहीं किया जा सकता जिनके कठिन परिश्रम से आज हम आजाद नागरिक के रूप में इस महान देश में सांस ले रहे हैं। महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, बाल गंगाधघर तिलक, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल, पंडित मोतीलाल नेहरू, डॉ राम मनोहर लोहिया, मौलाना अबुल कलाम आजाद, बाबू जगजीवन राम और अनेक महान नेताओं के योगदान के बिना इस देश की आजादी का स्वप्न कभी पूरा नहीं होता। इन सभी महान दिव्य चरित्रों की स्मृति हमारे स्मृति पटल पर सदैव के लिए अंकित है। सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, राजगुरु, रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती जैसे अनेक महान बलिदानियों का योगदान हमारे आजादी के इतिहास में अमिट मिसालें हैं।
भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साहस और दूरगामी नीतियों ने भारत की संप्रभुता को एक अजेय दुर्ग बनाया और पाकिस्तान को बांटकर बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र को जन्म दिया और उनके निर्णय भारतीय शौर्य की अमर गाथा बन चुके हैं। उनकी विकासवादी सोच से जनित हरितक्रांति, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, लोक उपक्रमों की स्थापना और अनेक जनमूलक कार्यों ने देश को नये आयाम प्रदान किये। 21वीं सदी का आधार संचार क्रांति एवं देश के विकास को नई सोच राजीव गांधी की अगुवाई में मिली और इन स्थापित आधारभूत मजबूतियों के कारण ही आज नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना जैसे तूफानी थपेड़ों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था खड़ी हुई है।
कुशासन से मिली थी मुक्ति
मध्यप्रदेश में 15 साल के कुशासन को प्रदेश के आमजन ने जनमत यज्ञ कर, समाप्त किया था। जन-जन के इस यज्ञ के पवित्र परिणाम को अनुचित संसाधनों से नष्ट एवं खंडित किया गया और यह दुष्कृत्य समय की अमिट शिला पर अंकित हो गया है। इस अपवित्र कृत्य से सत्ताधीश हुये भले ही स्वयं को ताकतवर महसूस करें, लेकिन जिन किसानों के कर्ज माफ होने थे, जिन कन्याओं को विवाह में आर्थिक सहायता मिलनी थी उसे घटा दिया गया। अन्य पिछड़े वर्गों को 27% आरक्षण का कवच और आर्थिक आधार पर विपन्न सामान्य वर्ग को आरक्षण का सहारा मिलना था, वे सभी प्रयास अब प्रदेश में कमजोर कर समाप्त किये जा रहे हैं। 100 रूपये में 100 यूनिट बिजली और किसानों को 44 पैसे प्रति यूनिट बिजली के माध्यम से जो विकासक्रम को आगे बढ़ाने की कोशिशें हुई उन्हें शिथिल कर दिया गया है। हजारों गरीब झूठे या बढे चढ़े बिलों से परेशान हैं। प्रदेश में समतावादी समाज को स्थापित करने के लिए किये जा रहे प्रयास कमजोर हो गए हैं।
सभी जानते हैं कि गत 15 वर्षो के कमजोर आर्थिक नियोजन के कारण मध्य प्रदेश कर्ज के भरोसे चलते हुये कर्ज उठाने की आखिरी सीमा तक अब पहुंच चुका है। अब इसके आगे क्‍या होगा, किस तरह जनकल्याण के काम किए जाएंगे, किस तरह प्रदेश नये आयाम स्थापित करेगा, यह सभी सवाल वातावरण में गुंजायमान हैं। सदी का सबसे महंगा पेट्रोल और अत्यधिक महंगे डीजल-घरेलु गैस क्या आमजन की पहुंच तक सस्ते हो सकेंगे? ऐसे अनेक सवाल आज प्रदेश के हर नागरिक के मन में हैं और बड़ी चुनौती के रूप में हमारे सामने खड़े हुये हैं पर अनुत्तरित हैं। कोरोना की भीषण महामारी से हमारे प्रदेश के लाखों लोग पीड़ित हुए और हजारों की संख्या में अकाल मृत्यु को प्राप्त हुये। मैं, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और ईश्वर से कामना करता हूं कि इस बीमारी से हमें पूर्ण निजात मिले।
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