सरकार का अनूठा प्रयास, पारसी शैली में भी रामकथा

जनजातीय रामालीला, केवट प्रसंग, गोंड रामायणी और शबरी प्रसंग पर तैयार किए तीन शो

 

भोपाल। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदाय को भगवान राम और हिन्दुत्व से जोड़ने के लिए संस्कृति विभाग ने एक अनूठी कवायद की है। देश में पहली बार शबरी प्रसंग, गोंड रामायणी और केवट प्रसंग पर रामलीला तैयार हो रही है।

 

वरिष्ठ नाट्य लेखक योगेश त्रिपाठी ने उत्तर से दक्षिण तक विभिन्न कालखंड में लिखी गईं रामायण का अध्ययन कर इसकी स्क्रिप्ट तैयार की है। वहीं, मिलिंद त्रिपाठी के निर्देशन में मुंबई में इसका म्यूजिक रिकॉर्ड किया गया है। अप्रैल से प्रदेशभर की 79 जनजातीय बहुल जनपदों में इसका मंचन शुरू किया जाएगा। लॉकडाउन में ही संस्कृति विभाग ने संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के निर्देशन में इसकी तैयारी शुरू कर दी थी।

 

जनजातीय कलाकार ही देंगे प्रस्तुति

रामकथा में वर्णित वनवासी चरित्रों पर आधारित लीलाओं की प्रस्तुतियां होंगी। इसे केवट लीला, शबरी लीला और गोंड रामायणी लीला नाम दिया गया है। इस प्रस्तुति से जुड़े सभी कलाकार भी जनजातीय समुदाय से ही होंगे। हर जनपद में तीन दिवसीय समारोह का आयोजन होगा। जहां प्रतिदिन दो से ढाई घंटे की रामलाली में केवट प्रसंग, शबरी प्रसंग और गोंड रामायणी की प्रस्तुतियां होंगी। श्री रघुनाथ लीला समिति, ओडिशा, सतना…. और छत्तीसगढ़ में रायपुर की मंडली प्रस्तुति देगी। ओडिशा की मंडली उड़िया शैली में प्रस्तुति देगी तो अन्य दो मंडली दंडकारण्य से इसे जोड़ते हुए पारसी शैली में रामलीला का मंचन करेगी। चूंकि सीताहरण पंचवटी से हुआ था, जो दंडकारण्य में आता है। इस क्षेत्र में पारसी शैली प्रचलित है, इसलिए इसे शामिल किया गया। जनजातीय संग्रहालय में ही मार्च में इसकी रिहर्सल शुरू होगी।

 

तीन शैली में तैयार की जा रही प्रसंगों की पेंटिंग

रामलीला में रिकॉर्डेड डॉयलॉग्स का उपयोग किया जाएगा। जनजातीय समुदायों को संवाद और दृश्यों से जोडऩे के लिए बैकग्राउंड में प्रसंगों से जुड़ी पेंटिंग्स भी दिखाई देगी। इसके लिए आंध्रप्रदेश की चेरियालपटम, हिमाचल प्रदेश के चंबा की गुलेर चित्र शैली और राजस्थान के नाथद्वारा की शैली में 25-25 पेंटिंग्स जनजातीय चित्रकारों से तैयार कराई जा रही है।

 

दो माह में तैयार हुई स्क्रिप्ट

नाट्य लेखक त्रिपाठी ने बताया कि तीनों प्रसंगों पर स्क्रिप्ट तैयार करने के लिए मुख्य आधार रामचरित मानस को ही बनाया गया। चूंकि इसमें प्रसंग बहुत विस्तार से नहीं मिलते हैं। इसके लिए दक्षिण भारत की विभिन्न कालखंड में लिखी गईं रामायण का अध्ययन किया। इसमें आध्यात्म रामायण, कंब रामायण, तत्वार्थ रामायण, तोरवे रामायण (कन्नड़), कृतिवास रामायण का अध्ययन किया प्रमुख हैं। वहीं, रामकिंकर उपाध्याय, नानाभाई भट्ट, विनित बिहारी दास, कुबेर नाथ राय और डॉ. रामनारायण लाल की पुस्तकों का अध्ययन किया। स्क्रिप्ट तैयार करने में करीब दो माह का समय लगा।

 

एक नजर

रामलीला के कुछ प्रमुख दृश्य

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रामायण के तीन महत्वपूर्ण प्रसंगों पर रामलीला तैयार की जा रही है। जनजातीय कलाकार ही इसकी प्रस्तुति देंगे। मार्च में ही जनजातीय संग्रहालय में इसकी रिर्हसल शुरू हो जाएगी। इसका मंचन प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में किया जाएगा।

-अदिति त्रिपाठी, संचालक, संस्कृति विभाग

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